नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपना मासिक रेडियो कार्यक्रम फिर से शुरू कियामन की बात‘ रविवार को उन्होंने देशवासियों को संविधान और लोकतांत्रिक व्यवस्था में अटूट आस्था रखने के लिए धन्यवाद दिया। लोकसभा चुनाव 2024चुनावों के कारण 25 फरवरी को आखिरी प्रसारण के बाद से कार्यक्रम रोक दिया गया था।
मन की बात कार्यक्रम में राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि फरवरी के प्रसारण के बाद से उन्हें जनता के साथ बातचीत की कमी महसूस हो रही थी।
मोदी ने कहा, “यह एक लंबा अवकाश था और मुझे हमारी बातचीत की याद आती थी।”
“आज आखिरकार वो दिन आ ही गया जिसका हम सब फरवरी से इंतजार कर रहे थे। ‘मन की बात’ के माध्यम से मैं एक बार फिर आपके बीच, अपने परिवारजनों के बीच आया हूँ। मैंने फरवरी में आपसे कहा था कि चुनाव नतीजों के बाद फिर मिलूंगा और आज मैं फिर मन की बात के साथ आपके बीच आया हूँ। मानसून उन्होंने कहा, “इससे आपका दिल भी खुश हो गया है।”
उन्होंने कहा, “साथियों, फरवरी से लेकर अब तक, जब भी महीने का आखिरी रविवार आता था, मैं आपसे ये बातचीत मिस कर देता था। लेकिन, मुझे ये देखकर भी खुशी होती थी कि इन महीनों में आप लोगों ने मुझे लाखों संदेश भेजे। कुछ महीनों के लिए ‘मन की बात’ रेडियो कार्यक्रम भले ही बंद रहा हो, लेकिन ‘मन की बात’ की भावना…देश और समाज के लिए हर दिन किए जाने वाले अच्छे काम, निस्वार्थ भावना से किए जाने वाले काम…समाज पर सकारात्मक प्रभाव डालने वाले काम निरंतर जारी रहे।”
पीएम मोदी ने कहा: “आज, मैं देशवासियों को हमारे संविधान और देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था में अपनी अटूट आस्था दोहराने के लिए धन्यवाद देता हूं। 2024 का चुनाव दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव था। दुनिया के किसी भी देश में इतना बड़ा चुनाव कभी नहीं हुआ। मैं इसके लिए चुनाव आयोग और मतदान प्रक्रिया से जुड़े सभी लोगों को बधाई देता हूं।”
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने रेडियो संबोधन में क्या कहा
  • “वीर सिद्धू-कान्हू हजारों की संख्या में एकजुट संथाल साथी और अपनी पूरी ताकत से अंग्रेजों से लड़े, और क्या आप जानते हैं कि यह कब हुआ?”
  • मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “यह 1855 में हुआ था, यानी 1857 में भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से दो साल पहले। तब झारखंड के संथाल परगना में हमारे आदिवासी भाइयों और बहनों ने विदेशी शासकों के खिलाफ हथियार उठाए थे।”
  • “अगर मैं आपसे पूछूं कि दुनिया में सबसे अनमोल रिश्ता कौन सा है, तो आप ज़रूर कहेंगे – माँ। हम सभी के जीवन में ‘माँ’ का दर्जा सबसे ऊँचा होता है। एक माँ हर दर्द सहकर भी अपने बच्चे का पालन-पोषण करती है। हर माँ अपने बच्चे पर हर तरह का स्नेह लुटाती है। जन्म देने वाली माँ का ये प्यार हम सभी पर एक कर्ज की तरह है जिसे कोई चुका नहीं सकता।” पीएम मोदी ने कहा
  • “माँ को हम कुछ दे तो नहीं सकते, पर और कुछ कर भी तो नहीं सकते? इसी सोच के साथ एक विशेष अभियान शुरू किया गया है” विश्व पर्यावरण दिवस उन्होंने कहा, “इस साल इस अभियान का नाम है – ‘एक पेड़ मां के नाम’। मैंने अपनी मां के नाम पर भी एक पेड़ लगाया है।”
  • “आज ‘मन की बात’ में मैं आपको एक खास तरह के छाते के बारे में बताना चाहता हूँ। ये छाते हमारे केरल में बनते हैं। वैसे तो केरल की संस्कृति में छातों का विशेष महत्व है। छाते वहाँ की कई परंपराओं और रीति-रिवाजों का अहम हिस्सा हैं। लेकिन मैं जिस छाते की बात कर रहा हूँ वो है ‘कर्थुम्बी छाता’ और ये केरल के अट्टापडी में बनता है”, पीएम ने कहा।
  • उन्होंने कहा, “ये रंग-बिरंगे छाते केरल की हमारी आदिवासी बहनों द्वारा तैयार किए गए हैं। आज इन छतरियों की मांग पूरे देश में बढ़ रही है। इन्हें ऑनलाइन भी बेचा जा रहा है। ये छतरियां ‘वट्टालक्की सहकारी कृषि समिति’ की देखरेख में बनाई गई हैं। इस समिति का नेतृत्व हमारी महिला शक्ति कर रही है।”
  • “टोक्यो में हमारे खिलाड़ियों के प्रदर्शन ने हर भारतीय का दिल जीत लिया। टोक्यो ओलंपिकपीएम ने कहा, “हमारे खिलाड़ी पेरिस ओलंपिक की तैयारियों में जी-जान से जुटे हुए थे। अगर सभी खिलाड़ियों को मिला दिया जाए तो उन्होंने करीब 900 अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया है।”
  • उन्होंने कहा, “पेरिस ओलंपिक में कुछ चीजें आपको पहली बार देखने को मिलेंगी। शूटिंग में हमारे खिलाड़ियों की प्रतिभा सामने आ रही है। टेबल टेनिस में पुरुष और महिला दोनों टीमों ने क्वालीफाई किया है। हमारी शूटर बेटियां भारतीय शॉटगन टीम में भी शामिल हैं। इस बार हमारी टीम के खिलाड़ी कुश्ती और घुड़सवारी में उन श्रेणियों में भी प्रतिस्पर्धा करेंगे, जिनमें उन्होंने पहले कभी भाग नहीं लिया है।”
  • प्रधानमंत्री ने कहा, “कुवैत सरकार ने अपने राष्ट्रीय रेडियो पर एक विशेष कार्यक्रम शुरू किया है और वह भी हिंदी में। इसे हर रविवार को ‘कुवैत रेडियो’ पर आधे घंटे के लिए प्रसारित किया जाता है। इसमें भारतीय संस्कृति के विभिन्न रंग शामिल हैं।”
  • उन्होंने कहा, “हमारी फिल्में और कला जगत पर चर्चाएं वहां के भारतीय समुदाय के बीच बहुत लोकप्रिय हैं। मुझे तो यहां तक ​​बताया गया है कि कुवैत के स्थानीय लोग भी इसमें काफी रुचि ले रहे हैं। मैं इस अद्भुत पहल के लिए कुवैत सरकार और वहां के लोगों का तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूं।”
  • प्रधानमंत्री ने कहा, “तुर्कमेनिस्तान में इस वर्ष मई में उसके राष्ट्रीय कवि की 300वीं जयंती मनाई गई। इस अवसर पर तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति ने विश्व के 24 प्रसिद्ध कवियों की प्रतिमाओं का अनावरण किया। इनमें से एक प्रतिमा गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की भी है। यह गुरुदेव और भारत दोनों के लिए सम्मान की बात है।”
  • प्रधानमंत्री ने कहा, “जून के महीने में दो कैरेबियाई देशों सूरीनाम और सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस ने अपनी भारतीय विरासत का पूरे जोश और उत्साह के साथ जश्न मनाया। सूरीनाम में भारतीय समुदाय हर साल 5 जून को भारतीय आगमन दिवस और प्रवासी दिवस के रूप में मनाता है। हिंदी के साथ-साथ यहां भोजपुरी भी व्यापक रूप से बोली जाती है।”
  • प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “इस महीने पूरी दुनिया ने 10वां योग दिवस बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाया। मैंने भी जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में आयोजित योग कार्यक्रम में हिस्सा लिया। कश्मीर में युवाओं के साथ-साथ बहनों और बेटियों ने भी योग दिवस में उत्साह से हिस्सा लिया। जैसे-जैसे योग दिवस का उत्सव आगे बढ़ रहा है, नए रिकॉर्ड बन रहे हैं।”
  • उन्होंने कहा, “करीब डेढ़ लाख आदिवासी परिवार अराकू कॉफी की खेती से जुड़े हैं। अराकू कॉफी को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में गिरिजन कोऑपरेटिव की बहुत बड़ी भूमिका रही है। इसने यहां के किसान भाई-बहनों को एक साथ लाया और उन्हें अराकू कॉफी की खेती के लिए प्रोत्साहित किया। इससे इन किसानों की आय में भी काफी वृद्धि हुई है।”
  • प्रधानमंत्री ने कहा, “मुझे याद है, एक बार मुझे आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू गारू के साथ विशाखापत्तनम में इस कॉफी का स्वाद चखने का मौका मिला था। अराकू कॉफी को कई वैश्विक पुरस्कार मिले हैं। दिल्ली में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन में भी कॉफी लोकप्रिय रही।”
  • पीएम मोदी ने कहा, “जम्मू-कश्मीर के लोग भी स्थानीय उत्पादों को वैश्विक बनाने में पीछे नहीं हैं। पिछले महीने जम्मू-कश्मीर ने जो हासिल किया है, वह पूरे देश के लोगों के लिए एक मिसाल है। यहां पुलवामा से स्नो मटर की पहली खेप लंदन भेजी गई।”
  • उन्होंने बताया, “कुछ लोगों के मन में विचार आया कि क्यों न कश्मीर में उगाई जाने वाली विदेशी सब्जियों को विश्व मानचित्र पर लाया जाए। तब चकुरा गांव के अब्दुल रशीद मीर इसके लिए सबसे पहले आगे आए। उन्होंने गांव के अन्य किसानों की जमीनों को मिलाकर स्नो मटर उगाना शुरू किया और जल्द ही स्नो मटर कश्मीर से लंदन तक पहुंचने लगे।”
  • उन्होंने कहा, “बंगलुरू में एक पार्क है – कब्बन पार्क। यहां के लोगों ने इस पार्क में एक नई परंपरा शुरू की है। यहां, सप्ताह में एक बार, हर रविवार को बच्चे, युवा और बुजुर्ग एक-दूसरे से संस्कृत में बात करते हैं। इतना ही नहीं, संस्कृत में कई वाद-विवाद सत्र भी आयोजित किए जाते हैं। इस पहल का नाम है संस्कृत सप्ताहांत।”
  • “समष्टि गुब्बी जी ने एक वेबसाइट के माध्यम से इसकी शुरुआत की है। कुछ दिन पहले शुरू हुआ यह प्रयास बेंगलुरु के लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय हो गया है। अगर हम सभी ऐसे प्रयासों में शामिल हों, तो हमें दुनिया की इतनी प्राचीन और वैज्ञानिक भाषा से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा,” पीएम मोदी ने कहा।
शेयर करना
Exit mobile version