गोण्डा। पौराणिक महत्व की मनोरमा नदी को फिर से जीवंत करने की ऐतिहासिक पहल गोण्डा जिले में शुरू हो गई है। जिलाधिकारी नेहा शर्मा की अगुवाई में ग्राम सिसई बहलोलपुर से इस अभियान का शुभारंभ हुआ। श्रमदान के माध्यम से नदी की गाद हटाने और जलधारा पुनर्जीवित करने का कार्य शुरू किया गया है।

इस अभियान में 200 से अधिक ग्रामीणों, युवाओं, ग्राम प्रधानों और स्वयंसेवी संस्थाओं ने सहभागिता निभाई। जन-सहभागिता, प्रशासनिक प्रयास और सांस्कृतिक चेतना का ऐसा संगम जिले में पहली बार देखने को मिला।

DM बोलीं- नदी सिर्फ जल नहीं, हमारी स्मृति है

जिलाधिकारी ने कहा कि मनोरमा केवल एक नदी नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक चेतना और प्रकृति से सह-अस्तित्व की प्रतीक है। यह गोण्डा के स्वाभिमान से जुड़ा विषय है और इसे जीवित करना प्रशासन व आमजन की साझा जिम्मेदारी है। इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी अंकिता जैन सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।

बहुआयामी कार्ययोजना के तहत होगा कायाकल्प

नदी के पुनर्जीवन के लिए तैयार योजना के तहत गोण्डा-बलरामपुर रोड से ताड़ी लाल गांव तक गाद हटाने, अतिक्रमण हटाने, और जलधारा को बहाल करने का कार्य किया जाएगा। जेसीबी और पोकलैंड मशीनों से सफाई कार्य शुरू हो गया है। साथ ही पीपल, नीम और पाकड़ जैसे देशी वृक्षों का रोपण कर जैव विविधता भी पुनर्स्थापित की जाएगी।

वन विभाग वृक्षारोपण और सिंचाई विभाग तकनीकी आकलन की जिम्मेदारी निभाएगा। विभागीय समन्वय के लिए ठोस तंत्र विकसित किया गया है।

115 किमी लंबी पौराणिक नदी, अब पुनर्जीवन की राह पर

115 किलोमीटर लंबी यह नदी गोण्डा के तिर्रे ताल से निकलकर बस्ती के महुली क्षेत्र में कुआनों नदी से मिलती है। पुराणों में इसका उल्लेख महर्षि उद्दालक की पुत्री के रूप में हुआ है और यह मखौड़ा धाम के समीप वर्षों से बहती रही है। बीते वर्षों में गाद, अतिक्रमण और उपेक्षा ने नदी को मृतप्राय बना दिया था।

अब योगी सरकार की पहल से यह नदी पुनः अपने पुराने गौरव की ओर लौट रही है। इस पहल को जनसहभागिता आधारित जल संरक्षण और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक माना जा रहा है।

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