नई दिल्ली: वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने 11 अगस्त 2025 को लोकसभा में लिखित उत्तर में बताया कि भारत में यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) लेन-देन ने पिछले आठ वर्षों में शानदार वृद्धि दर्ज की है। वित्त वर्ष 2017-18 में यूपीआई के माध्यम से 920 मिलियन लेन-देन हुए थे, जो 2024-25 में बढ़कर 185.87 अरब लेन-देन हो गए। इस दौरान यूपीआई का सम्मिलित वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) 114 प्रतिशत रही।

लेन-देन के मूल्य में भी जबरदस्त वृद्धि हुई। वित्त वर्ष 2017-18 में यूपीआई लेन-देन का मूल्य 1.10 लाख करोड़ रुपए था, जो 2024-25 में बढ़कर 261 लाख करोड़ रुपए हो गया। जुलाई 2025 में यूपीआई ने एक महीने में 19.46 अरब लेन-देन दर्ज किए, जो अब तक का सबसे अधिक मासिक आंकड़ा है। यह वृद्धि व्यापारियों और उपयोगकर्ताओं में यूपीआई की बढ़ती स्वीकार्यता और व्यक्तिगत से व्यक्तिगत (peer-to-peer) तथा व्यक्तिगत से व्यापारी (peer-to-merchant) लेन-देन की सुविधा के कारण संभव हुई।

डिजिटल भुगतान में वृद्धि

UPI के साथ-साथ भारत में डिजिटल भुगतान का कुल वॉल्यूम भी तेजी से बढ़ा है। वित्त वर्ष 2017-18 में डिजिटल भुगतान लेन-देन कुल 20.71 अरब थे, जो 2024-25 में बढ़कर 228.31 अरब हो गए, CAGR 41 प्रतिशत दर्ज की गई। डिजिटल भुगतान के कुल मूल्य में भी वृद्धि हुई, जो 1,962 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 3,509 लाख करोड़ रुपए हो गया। इसमें नेटबैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग, कार्ड पेमेंट और अन्य डिजिटल चैनल शामिल हैं।

विकास को बढ़ावा देने के लिए नीतिगत कदम

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और केंद्र सरकार ने डिजिटल भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत बनाने के लिए कई पहलें की हैं। इनमें नई तकनीक को अपनाना, बैंकिंग क्षेत्र में शासन सुधार, वित्तीय समावेशन, डोरस्टेप बैंकिंग, क्रेडिट अनुशासन में सुधार, और सहकारी बैंकों को नियामक दायरे में लाना शामिल है। इसके अलावा निपटान प्रणाली को बेहतर बनाना और लेन-देन विवादों को सरल बनाना तथा ऑनलाइन धोखाधड़ी और डेटा सुरक्षा संबंधी खतरों से निपटने के लिए सुरक्षा उपाय बढ़ाना भी शामिल है।

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में सुधार

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने हाल के वर्षों में संचालन और शासन में महत्वपूर्ण सुधार किए हैं। अब शीर्ष अधिकारियों का चयन फाइनेंशियल सर्विसेज़ इंस्टीट्यूशन्स ब्यूरो (FSIB) के माध्यम से किया जाता है और कुछ बैंकों में गैर-कार्यकारी अध्यक्ष की नियुक्ति भी की गई है। उच्च पदों के लिए योग्य उम्मीदवारों का दायरा बढ़ाया गया है और प्रबंध निदेशकों के लिए प्रदर्शन आधारित विस्तार की व्यवस्था लागू की गई है। EASE (Enhanced Access and Service Excellence) पहल के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में शासन, जोखिम प्रबंधन, प्रौद्योगिकी और मानव संसाधन प्रथाओं में सुधार किया गया है।इन नीतिगत और तकनीकी पहलों के कारण भारत में यूपीआई और डिजिटल भुगतान निरंतर नई ऊँचाइयों को छू रहे हैं।

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