Mobile History in India. भारत में मोबाइल टेलीफोनी का इतिहास 31 जुलाई 1995 से शुरू होता है, जब पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ज्योति बसु ने केंद्रीय दूरसंचार मंत्री सुख राम को नोकिया हैंडसेट से कॉल किया था। यह पहली मोबाइल कॉल मोदी टेल्स्ट्रा नेटवर्क के ज़रिए की गई थी, और इसी एक क्षण ने भारत की संचार यात्रा को हमेशा के लिए बदल दिया।
तीन दशकों में भारत ने जो टेलीकॉम क्रांति देखी है, वह वैश्विक स्तर पर एक मिसाल बन चुकी है। आज भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल मार्केट है, और कनेक्टिविटी अब एक विशेषाधिकार नहीं बल्कि बुनियादी ज़रूरत बन चुकी है।
विलासिता से जनसामान्य तक: मोबाइल का रूपांतरण
शुरुआती दिनों में मोबाइल फोन महंगे और सीमित लोगों तक ही सीमित थे। लेकिन 2000 के दशक में प्रीपेड मॉडल और किफायती दरों ने देश के कोने-कोने तक मोबाइल पहुंचाया। 2G से 4G तक के सफर में जहां इंटरनेट ने रफ्तार पकड़ी, वहीं 5G की लॉन्चिंग के साथ भारत ने सबसे तेज़ नेटवर्क विस्तार का कीर्तिमान रच डाला।
सरकार की भूमिका: डिजिटल समावेशन की नींव
डिजिटल इंडिया, भारतनेट, राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड मिशन, और USOF जैसे कार्यक्रमों ने गांव-गांव में नेटवर्क पहुंचाया। अब ग्रामीण टेली-डेंसिटी भी शहरों के बराबर होने लगी है। हाल ही में दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने घोषणा की कि सरकार $4 बिलियन खर्च कर देश के हर गांव को हाई-स्पीड ब्रॉडबैंड से जोड़ेगी।
खास आंकड़े जो बदलाव को दर्शाते हैं
- 1.2 अरब से ज़्यादा टेली-कनेक्शन
- 974 मिलियन ब्रॉडबैंड यूज़र्स
- 21GB प्रति उपयोगकर्ता औसत मासिक डेटा खपत (सितंबर 2025)
- 85% से अधिक राष्ट्रीय टेली-डेंसिटी
- भारत ने 2024 में अमेरिका को पीछे छोड़ा स्मार्टफोन वॉल्यूम में
5G से 6G की ओर: अब भारत बनेगा टेक्नोलॉजी लीडर
4G की सफलता के बाद भारत ने 5G रोलआउट में वैश्विक तेजी दिखाई। अब ‘भारत 6G विज़न’ के तहत भारत सिर्फ नई तकनीक अपनाने नहीं बल्कि वैश्विक मानक गढ़ने की दिशा में भी काम कर रहा है।
यह परिवर्तन केवल संचार का नहीं, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य, बैंकिंग और रोजगार जैसे तमाम क्षेत्रों को डिजिटल बना रहा है। मोबाइल बैंकिंग से लेकर टेलीमेडिसिन तक, मोबाइल अब ग्रामीण भारत की नई शक्ति बन चुका है।
नीति और कानून: भविष्य की तैयारियां
2023 में पारित नया Telecommunications Act उपभोक्ता सुरक्षा, डेटा गोपनीयता, और नेटवर्क आधुनिकीकरण पर केंद्रित है। यह सुनिश्चित करेगा कि आगामी तीन दशक और भी समावेशी, सुरक्षित और नवोन्मेषी बनें।
मोबाइल कॉल से डिजिटल राष्ट्र तक
30 साल पहले की गई वह एक कॉल आज अरबों भारतीयों के जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है। आज जब हम 5G युग में प्रवेश कर चुके हैं और 6G की तैयारी कर रहे हैं, तब यह कहना गलत नहीं होगा कि भारत की डिजिटल यात्रा अभी भी जारी है, और इसका अगला अध्याय और भी रोमांचक होगा।