भारत में मधुमेह का प्रसार दुनिया में दूसरे स्थान पर है। लेकिन समस्या यहीं खत्म नहीं होती; देश में मधुमेह से पीड़ित आधे से अधिक लोग अभी भी अनजान हैं कि उन्हें यह बीमारी है। जो लोग इसके बारे में जानते भी हैं, उनमें से केवल 25% लोग ही इसे सही तरीके से नियंत्रित कर पा रहे हैं, जिससे भविष्य में जटिलताओं का खतरा बढ़ जाता है।

भारत में मधुमेह के बढ़ते मामलों के पीछे मुख्य कारणों में उच्च रक्तचाप, केंद्रीय मोटापा, और शारीरिक गतिविधि की कमी जैसे कारक शामिल हैं। लगभग 40% भारतीय आबादी और 30-49 वर्ष की आयु वर्ग की 50% महिलाएं मोटापे की समस्या से ग्रस्त हैं। भारतीय अन्य देशों की तुलना में कम उम्र में ही मधुमेह का शिकार हो जाते हैं और जटिलताएं भी जल्दी विकसित होती हैं।

समस्या की गंभीरता

मधुमेह की देर से पहचान और खराब प्रबंधन के कारण स्थिति और भी गंभीर हो जाती है। समय पर निदान और नियंत्रण से बचाव संभव है, लेकिन इसके लिए बड़े स्तर पर जागरूकता और स्क्रीनिंग कार्यक्रमों की आवश्यकता है।

नियमित जांच और फॉलो-अप

मधुमेह का इलाज सिर्फ दवाओं तक सीमित नहीं है। इसका मुख्य उद्देश्य जटिलताओं को रोकना और रोगी के जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाना है। आंखों, गुर्दों, हृदय, जिगर और अन्य अंगों की नियमित जांच, साथ ही खून और पेशाब के परीक्षण, अत्यंत आवश्यक हैं।

स्वास्थ्य आपके हाथों में

मधुमेह को नियंत्रित करने के लिए रोगी की सक्रिय भागीदारी महत्वपूर्ण है। जीवनशैली में बदलाव दवा जितना ही महत्वपूर्ण है। इसके लिए निम्नलिखित उपायों को अपनाना चाहिए:

संतुलित आहार: प्रोटीन, फल, सब्जियां, और साबुत अनाज शामिल करें। वसायुक्त और शर्करा युक्त खाद्य पदार्थों से बचें।

शारीरिक गतिविधि: हफ्ते में 150 मिनट मध्यम-तीव्रता वाला व्यायाम करें और सप्ताह में 2 बार स्ट्रेंथ ट्रेनिंग करें।

तनाव प्रबंधन और अच्छी नींद: मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें।

धूम्रपान और शराब से बचाव: यह मधुमेह और हृदय रोग दोनों के जोखिम को बढ़ाते हैं।

मोटापा और मधुमेह

मधुमेह के मरीजों में मोटापा आम है। वजन घटाने से ब्लड शुगर, कोलेस्ट्रॉल, और रक्तचाप को नियंत्रित करना आसान हो जाता है। शोध बताता है कि वजन में 5-7% की कमी मधुमेह से जुड़ी जटिलताओं के जोखिम को काफी हद तक कम कर सकती है।

निष्कर्ष

मधुमेह प्रबंधन में स्व-देखभाल, स्क्रीनिंग, निगरानी, और नियमित फॉलो-अप का महत्वपूर्ण योगदान है। व्यक्तिगत जरूरतों के अनुसार उपचार योजना तैयार की जानी चाहिए। सक्रिय जीवनशैली और समय पर निदान के माध्यम से इस बीमारी को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है। स्वस्थ रहें और मधुमेह से बचाव करें।

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