नई दिल्ली: डिजिटल बैंकिंग और वित्तीय समावेशन की दिशा में भारत ने महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, और इस दिशा में इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (IPPB) एक साइलेंट गेमचेंजर साबित हुआ है। 1 सितंबर 2018 को भारत पोस्ट ने इस बैंक की स्थापना की थी, जिसका उद्देश्य आम जनता, विशेषकर ग्रामीण भारत में, सस्ती और सुलभ बैंकिंग सुविधाएँ पहुँचाना था।

आज, IPPB का नेटवर्क पूरे भारत में 1,65,000 डाकघरों तक फैल चुका है और इसके पास 12 करोड़ से अधिक ग्राहक हैं, जिनमें 80 प्रतिशत ग्रामीण और 59 प्रतिशत महिलाएं शामिल हैं। यह बैंक ग्रामीण भारत में वित्तीय समावेशन का एक वास्तविक उदाहरण बन चुका है।

बैंक की सेवाएँ और विशेषताएँ:

IPPB डिजिटल सेविंग्स अकाउंट, बैंक अकाउंट के साथ स्वास्थ्य लाभ, डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT), पेंशन भुगतान और क्रेडिट सुविधा जैसी सेवाएँ प्रदान करता है। इसके अलावा, क्रॉस-बॉर्डर रेमिटेंस, आधार-एनेबल्ड पेमेंट सर्विसेस और रूपे वर्चुअल डेबिट कार्ड जैसी सुविधाएँ भी शामिल की गई हैं।

ग्राहकों की विविध आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए, बैंक ने देश के विभिन्न क्षेत्रों में 13 भाषाओं में सेवाएँ उपलब्ध कराई हैं, जिससे लाखों ग्रामीण ग्राहकों को सुविधा मिल रही है।

नेतृत्व से सराहना:

बैंक की 8वीं स्थापना दिवस पर IPPB की चेयरमैन वंदिता कौल ने कहा, “IPPB ने यह साबित किया है कि वित्तीय समावेशन सिर्फ एक दृष्टिकोण नहीं बल्कि वास्तविकता है। हमारी यूनिक पोस्टल बैंकिंग मॉडल ने ग्रामीण और अल्पसंपन्न क्षेत्रों में लाखों भारतीयों को सशक्त बनाया।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस उपलब्धि की सराहना की और कहा, “सरकारी प्रयासों के चलते हमारे डाकिया वित्तीय समावेशन के अग्रदूत बने हैं। @IndiaPostOffice और @IPPBOnline के साथ भारत का डाक व्यवस्था अब विश्व का सबसे बड़ा डोरस्टेप बैंकिंग नेटवर्क बन गया है, जो गरिमा और सशक्तिकरण सुनिश्चित करता है।”

भारत पोस्ट पेमेंट्स बैंक ने साबित कर दिया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं को सीधे घर तक पहुँचाना न केवल संभव है बल्कि यह एक वैश्विक उदाहरण बन चुका है।

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