US Tariffs :अमेरिका ने भारत पर रूस से तेल खरीदने के चलते 25% अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया है। इस फैसले से भारतीय उत्पादों पर कुल टैरिफ अब 50% तक पहुंच गया है। इसका सबसे ज़्यादा असर रत्न और आभूषण, वस्त्र, लेदर, झींगा (श्रिम्प), केमिकल्स और मशीनरी जैसे निर्यात-प्रधान सेक्टरों पर पड़ेगा।

उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम भारत से अमेरिका को होने वाले निर्यात को 40 से 50 प्रतिशत तक घटा सकता है, जिससे लाखों लोगों की नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं।

ट्रंप का एकतरफा फैसला, भारत को निशाना?

डोनाल्ड ट्रंप की अगुवाई में अमेरिकी प्रशासन का यह फैसला कई मायनों में विवादास्पद माना जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि चीन और तुर्की जैसे देश, जो अभी भी रूस से तेल और अन्य उत्पाद खरीद रहे हैं, उन पर ऐसी कोई सजा नहीं दी गई है। इसलिए यह फैसला एकतरफा और भेदभावपूर्ण माना जा रहा है, जो सीधे भारत को ही निशाना बना रहा है।

कौन-कौन से उत्पाद होंगे सबसे ज़्यादा प्रभावित?

रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में अब भारतीय उत्पाद काफी महंगे हो जाएंगे, जिससे प्रतिस्पर्धा प्रभावित होगी। रिपोर्ट में बताया गया है कि अब इन उत्पादों पर इतने टैरिफ लगेंगे:

  • ऑर्गेनिक केमिकल्स: 54%
  • कालीन: 52.9%
  • बुने हुए वस्त्र: 63.9%
  • हीरे और गहने: 52.1%
  • मशीनरी: 51.3%

ये टैरिफ पहले से मौजूद ड्यूटी के अतिरिक्त होंगे। इसका पहला चरण 7 अगस्त सुबह 9:30 बजे (IST) से लागू होगा, जबकि दूसरा चरण 27 अगस्त से प्रभावी होगा।

सबसे ज़्यादा नुकसान किन सेक्टरों को?

विशेषज्ञों के अनुसार, जिन सेक्टरों को सबसे ज़्यादा झटका लगेगा, वे हैं:

  • वस्त्र और परिधान (Textiles & Apparel): $10.3 अरब का निर्यात
  • रत्न और आभूषण (Gems & Jewellery): $12 अरब
  • झींगा / श्रिम्प: $2.24 अरब
  • लेदर और फुटवियर: $1.18 अरब
  • केमिकल्स: $2.34 अरब
  • मशीनरी: $9 अरब

इन क्षेत्रों में पहले से ही उच्च प्रतिस्पर्धा और कम मार्जिन की स्थिति है, जिससे टैरिफ का असर और भी गहरा होगा।

MSME सेक्टर पर होगा बड़ा प्रहार

कामा ज्वेलरी के एमडी कॉलिन शाह का कहना है कि लगभग 55% भारतीय ज्वेलरी निर्यात अमेरिका को होता है। उन्होंने बताया कि 50% टैरिफ लगने से भारतीय उत्पाद 30-35% तक महंगे हो जाएंगे, और कई ऑर्डर पहले ही रद्द किए जा चुके हैं।

MSME निर्यातक पहले से ही कम मार्जिन पर काम कर रहे हैं और यह टैरिफ उनके लिए “जीवित रहने” का सवाल बन जाएगा।

श्रिम्प उद्योग की चिंता

मेगा मोडा (कोलकाता) के एमडी योगेश गुप्ता ने बताया कि भारतीय झींगा पहले से ही 2.49% एंटी-डंपिंग ड्यूटी और 5.77% काउंटरवेलिंग ड्यूटी के तहत आता है। अब 25% अतिरिक्त टैरिफ लगने से कुल ड्यूटी 33.26% हो जाएगी। जबकि इक्वाडोर जैसे प्रतिस्पर्धी देशों पर केवल 15% ड्यूटी लगती है। इससे भारत की स्थिति अमेरिकी मार्केट में कमजोर हो जाएगी।

CITI ने बताया गंभीर खतरा

कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्री (CITI) ने इस टैरिफ को “गंभीर चिंता का विषय” बताया है। संगठन का कहना है कि अमेरिका भारत के वस्त्र निर्यात का सबसे बड़ा बाजार है, और यह फैसला सेक्टर की प्रतिस्पर्धात्मकता को गहरा नुकसान पहुंचाएगा। CITI ने सरकार से तत्काल हस्तक्षेप कर राहत देने की मांग की है।

नए बाज़ारों की तलाश ही रास्ता

ग्रोमोर इंटरनेशनल लिमिटेड (कानपुर) के एमडी यदुवेंद्र सिंह सचान ने कहा कि अब भारतीय निर्यातकों को नए निर्यात बाजारों की तलाश करनी चाहिए। साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौता (BTA) जल्द अंतिम रूप लेगा, जिससे भारत को इस संकट से राहत मिल सके।

भारत-अमेरिका व्यापार पर असर

  • 2024-25 में भारत-अमेरिका व्यापार: $131.8 अरब
  • भारत का अमेरिका को निर्यात: $86.5 अरब
  • संभावित गिरावट: 40-50%
  • प्रभावित क्षेत्र: ज्वेलरी, वस्त्र, केमिकल, मशीनी उपकरण, झींगा, लेदर

"हमने कभी सोचा नहीं था!"..Uttarkashi के धराली गांव के लोगों ने रेस्क्यू ऑपरेशन के बारे में क्या कहा?

शेयर करना
Exit mobile version