UPI UPU Integration. केंद्रीय संचार और उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्री ज्योति रेड्डी एम. सिंधिया ने आज 28वें यूनिवर्सल पोस्टल कांग्रेस में UPI–UPU इंटीग्रेशन परियोजना का अनावरण किया। इस पहल को उन्होंने सीमापार रेमिटेंस को बदलने और वैश्विक वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने वाला मील का पत्थर बताया।
यह पहल भारतीय डाक विभाग, NPCI International Payments Limited और Universal Postal Union (UPU) के सहयोग से विकसित की गई है। इसके तहत भारत की Unified Payments Interface (UPI) को UPU इंटरकनेक्शन प्लेटफ़ॉर्म से जोड़ा गया है, जिससे डाक नेटवर्क की पहुंच और UPI की गति व किफायती सेवा का संयोजन संभव होगा।
सिंधिया ने इसे केवल तकनीकी लॉन्च नहीं बल्कि सामाजिक समझौता बताया और कहा कि इस साझेदारी के माध्यम से सीमा पार परिवार तुरंत, सुरक्षित और कम लागत में धन भेज सकेंगे, साथ ही डाक क्षेत्र की विश्वसनीय सेवा प्रदाता भूमिका भी मजबूत होगी। उन्होंने यह भी घोषणा की कि भारत इस चक्र में USD 10 मिलियन का योगदान देगा, जिसका इस्तेमाल नवाचार, ई-कॉमर्स और डिजिटल भुगतान के साथ प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण में किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि आधार, जनधन और India Post Payments Bank ने मिलकर 5.6 करोड़ से अधिक बैंक खाते खोले हैं, जिनमें अधिकांश खातों के नाम महिलाओं के हैं। भारत पोस्ट ने पिछले वर्ष 9 करोड़ से अधिक पत्र और पार्सल वितरित किए।
UPI–UPU इंटीग्रेशन का महत्व
सिंधिया ने कहा कि यह परियोजना वैश्विक रेमिटेंस में एक क्रांतिकारी बदलाव लाएगी। भारत का UPI प्लेटफ़ॉर्म 2024–25 में 185 अरब लेनदेन और 2.83 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के भुगतान संभाल चुका है, जो दुनिया के आधे डिजिटल भुगतानों के बराबर है। UPI को UPU इंटरकनेक्शन प्लेटफ़ॉर्म से जोड़ने से सीमापार रेमिटेंस ‘एक मैसेज भेजने जितना आसान’ हो जाएगा।
इस पहल से भारतीय प्रवासी समुदाय के लिए तेज और किफायती धन स्थानांतरण सुनिश्चित होगा और डाक प्रशासन के लिए नए राजस्व स्रोत खुलेंगे। यह भारत की UN Sustainable Development Goal में वैश्विक रेमिटेंस लागत को 2030 तक 3% से कम करने की प्रतिबद्धता का हिस्सा भी है।
UPU के Director General Masahiko Metoki ने भारत की वित्तीय सेवाओं में नेतृत्व की सराहना की और कहा कि भारत ने पोस्टल ऑपरेशन्स काउंसिल के सह-अध्यक्ष के रूप में अंतर्राष्ट्रीय रेमिटेंस में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
सिंधिया ने कहा, “भारत सिर्फ प्रस्ताव लेकर नहीं आता, बल्कि साझेदारी लेकर आता है। हम भरोसा और पारस्परिक समाधान में विश्वास करते हैं, जिससे वैश्विक वाणिज्य सहज और किफायती बन सके।”