New Delhi : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जापान दौरे को एशिया की सबसे पुरानी मित्रता को 21वीं सदी की सबसे महत्वपूर्ण साझेदारी में बदलने की यात्रा का हिस्सा बताया जा रहा है। 2014 में पहली बार टोक्यो यात्रा के बाद से, पीएम मोदी ने भारत-जापान संबंधों को मजबूती दी है, जिसमें रणनीतिक भरोसा और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए साझा दृष्टि प्रमुख आधार हैं।

इतिहास में जापान का समर्थन, जैसे कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस और इंडियन नेशनल आर्मी को आज़ादी के संघर्ष के दौरान मिला, आज भी इस साझेदारी की गहराई का प्रमाण है।

भारत में जापानी निवेश के प्रभाव स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं। जापान का $42 बिलियन FDI निवेश भले ही सिंगापुर के मुकाबले छोटा हो, लेकिन इसका रणनीतिक महत्व बहुत बड़ा है। जापानी फंडिंग ने भारत के विभिन्न शहरों में मेट्रो सिस्टम, दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारा, और मुंबई-अहमदाबाद की पहली बुलेट ट्रेन परियोजना को संभव बनाया।

स्मार्ट सिटी और शहरी नवीनीकरण परियोजनाओं में भी जापानी शैली और तकनीक का प्रभाव देखा जा सकता है। इसके अलावा, जापान की सहयोगी पहलें क्लीन एनर्जी, कौशल विकास और तकनीक जैसे क्षेत्रों तक फैल गई हैं।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जापानी निवेश भारत की दीर्घकालिक प्राथमिकताओं जैसे Make in India, Digital India, Startup India, Renewable Energy और Advanced Manufacturing के अनुरूप है। इस सामंजस्य ने इस साझेदारी को और मजबूत और टिकाऊ बनाया है।

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