New Delhi: भारत तेजी से हाइड्रोजन उद्योग में वैश्विक नेतृत्व की ओर बढ़ रहा है, खासकर ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र में। यह जानकारी S&P Global Commodity Insights के को-प्रेसिडेंट डेव अर्न्सबर्गर ने गुरुवार को दी।
अर्न्सबर्गर ने कहा, “भारत का हाइड्रोजन क्षमता विकास और वैश्विक हाइड्रोजन उद्योग में नेतृत्व की भूमिका, साथ ही ग्रीन हाइड्रोजन पर विशेष जोर, वास्तव में प्रभावशाली है।”
उन्होंने नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के महत्व पर भी जोर दिया और इसे “स्वच्छ ऊर्जा की वैश्विक यात्रा, ऊर्जा स्वतंत्रता और भारत जैसे देशों के लिए महत्वपूर्ण” बताया। भारत सरकार ने 4 जनवरी 2023 को इस मिशन को मंजूरी दी थी, जिसका बजट 19,744 करोड़ रुपये है। मिशन का लक्ष्य 2030 तक 5 MMT प्रति वर्ष ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन करना और भारत को ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन, उपयोग और निर्यात का वैश्विक केंद्र बनाना है।
अर्न्सबर्गर ने कहा कि भारत के पास मजबूत नवीकरणीय ऊर्जा संसाधन और औद्योगिक बुनियादी ढांचा है, जो इसे ग्रीन हाइड्रोजन और सामान्य हाइड्रोजन के विकास में विश्व नेतृत्व के लिए सक्षम बनाता है।
उन्होंने सहयोग की अहमियत पर भी जोर दिया। “निजी और सार्वजनिक क्षेत्र, सरकारी नेतृत्व, ट्रेडर्स और सप्लाई चेन के बीच सहयोग इस नई उद्योग को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।”
भारत की ग्रीन हाइड्रोजन महत्वाकांक्षाओं को उसकी स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण की नींव के रूप में देखा जा रहा है। इसका उद्देश्य केवल घरेलू मांग को पूरा करना ही नहीं बल्कि भविष्य में प्रमुख निर्यातक बनना भी है।
11 सितंबर को केंद्रीय नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रल्हाद जोशी ने नई दिल्ली में आयोजित पहली वार्षिक ग्रीन हाइड्रोजन R&D कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन किया और हाइड्रोजन इनोवेशन में स्टार्टअप्स का समर्थन करने के लिए 100 करोड़ रुपये की नई योजना का भी शुभारंभ किया। इस योजना के तहत पायलट प्रोजेक्ट्स के लिए प्रति प्रोजेक्ट 5 करोड़ रुपये तक सहायता दी जाएगी। कॉन्फ्रेंस में 25 स्टार्टअप्स ने अपने नवाचार प्रदर्शित किए, जिनमें इलेक्ट्रोलाइज़र निर्माण, AI-आधारित ऑप्टिमाइजेशन और बायोलॉजिकल हाइड्रोजन समाधान शामिल हैं।