भारत का विनिर्माण क्षेत्र वर्तमान में एक महत्वपूर्ण बदलाव से गुजर रहा है, जो मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर विकास और सहायक सरकारी नीतियों से प्रेरित है। Cushman & Wakefield द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट “Elevating India’s Manufacturing Resilience: Charting the Path to Self-Reliance” के अनुसार, 94 वरिष्ठ नेताओं का सर्वेक्षण करने पर यह बात सामने आई कि उद्योग में सकारात्मक दृष्टिकोण बढ़ रहा है।
🔹 प्रमुख आँकड़े:
- 88% कंपनियाँ अपनी ऑपरेशन्स का विस्तार करने की योजना बना रही हैं।
- भारतमाला, सागरमाला, समर्पित माल परिवहन गलियारे, और राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास जैसी इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं से इसका प्रेरणा मिल रही है।
- 95% कंपनियों को सरकारी कार्यक्रमों के माध्यम से लॉजिस्टिक्स की पहुंच में सुधार हुआ है।
🔹 सरकारी नीतियाँ:
- प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना और राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (NLP) ने भी कारोबार निर्णयों को प्रभावित किया है।
- 40% से अधिक कंपनियों ने इन नीतियों को अपने विकास में महत्वपूर्ण पाया।
🔹 समस्याएँ:
- उच्च लॉजिस्टिक्स लागत, कम वेयरहाउसिंग क्षमता और एमएसएमई में कौशल की कमी जैसी चुनौतियाँ मौजूद हैं।
🔹 आगे का रास्ता:
रिपोर्ट में पांच प्रमुख रणनीतियाँ दी गई हैं:
- प्लग-एंड-प्ले औद्योगिक पार्क
- मल्टीमोडल लॉजिस्टिक्स नेटवर्क
- कौशल विकास कार्यक्रम
- एमएसएमई सुधार
- निर्यात सुविधा के लिए डिजिटल प्लेटफार्म
इन योजनाओं के माध्यम से भारत का विनिर्माण क्षेत्र वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अपनी स्थिति मजबूत कर सकता है।