रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के शुक्रवार, 16 मई को जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत के विदेशी मुद्रा भंडार (फॉरेक्स रिज़र्व) 9 मई, 2025 तक 690.61 बिलियन डॉलर पर पहुंच गए, जो पिछले सात महीनों में सबसे ऊंचा स्तर है।
पिछले सप्ताह (2 मई, 2025) की तुलना में फॉरेक्स भंडार में 4.6 बिलियन डॉलर की वृद्धि हुई है, जब यह 686 बिलियन डॉलर था। विदेशी मुद्रा भंडार में विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां (Foreign Currency Assets) भी मामूली बढ़त के साथ 581.37 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई हैं, जो पिछले 581.17 बिलियन डॉलर से बढ़ी हैं।
सोने के भंडार में भी वृद्धि
आरबीआई के अनुसार, भारत के सोने के भंडार की कीमत 9 मई, 2025 तक 86.33 बिलियन डॉलर रही, जो पिछले आंकड़ों के 81.82 बिलियन डॉलर की तुलना में 4.51 बिलियन डॉलर की वृद्धि दर्शाता है। सोना आर्थिक अनिश्चितता और भू-राजनीतिक तनाव के समय सुरक्षित निवेश माना जाता है। भारत-पाकिस्तान के बढ़ते तनाव और अमेरिका के संभावित ट्रेड टैरिफ ने इस दौरान देश में इस सुरक्षित परिसंपत्ति की मांग बढ़ाई है।
अन्य भंडार: एसडीआर और IMF रिजर्व पोजीशन
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में दो अन्य हिस्से भी शामिल हैं — स्पेशल ड्रॉइंग राइट्स (SDRs) और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में रिजर्व पोजीशन। SDR में 26 मिलियन डॉलर की गिरावट के बाद यह 18.532 बिलियन डॉलर पर है, जबकि IMF रिजर्व पोजीशन 135 मिलियन डॉलर कम होकर 4.374 बिलियन डॉलर हो गई है।
भारतीय रुपया और RBI का हस्तक्षेप
RBI अपने फॉरेक्स भंडार का उपयोग भारतीय रुपये की विनिमय दर की अस्थिरता को नियंत्रित करने के लिए करता है। 18 मई, 2025 तक भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले ₹85.60 पर स्थिर था।