नई दिल्ली: केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस 2025 के अवसर पर कहा कि भारत की साक्षरता दर 2011 में 74% से बढ़कर 2023-24 में 80.9% हो गई है। हालांकि उन्होंने यह भी जोर दिया कि वास्तविक प्रगति तब ही होगी जब साक्षरता हर नागरिक के जीवन में महसूस की जा सके।
प्रधान ने कहा, “साक्षरता केवल पढ़ने और लिखने तक सीमित नहीं है। यह सम्मान, सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता का साधन है।” उन्होंने ULLAS-Nav Bharat Saaksharta Karyakram की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया, जिसके तहत 3 करोड़ से अधिक शिक्षार्थी और 42 लाख स्वयंसेवक जुड़ चुके हैं। इस कार्यक्रम के तहत लगभग 1.83 करोड़ शिक्षार्थियों ने मूलभूत साक्षरता और गणितीय क्षमता के आकलन में भाग लिया, जिसमें 90% सफलता दर हासिल की गई।
प्रधान ने यह भी बताया कि अब इस कार्यक्रम में 26 भारतीय भाषाओं में अध्ययन सामग्री उपलब्ध है, जिससे यह और अधिक समावेशी बन गया है। उन्होंने लद्दाख, मिजोरम, गोवा, त्रिपुरा और हिमाचल प्रदेश को पूर्ण साक्षरता हासिल करने पर बधाई दी। हिमाचल प्रदेश चौथा राज्य बना है, जिसने पूर्ण कार्यात्मक साक्षरता प्राप्त की है।
इस वर्ष का थीम “Promoting Literacy in the Digital Era” रहा, जिसमें डिजिटल तकनीक की भूमिका को उजागर किया गया। शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने बताया कि भारत में साक्षरता की अवधारणा अब डिजिटल साक्षरता को भी शामिल करती है।
प्रधान ने कहा कि भारत ने ग्लोबल साउथ के लिए शिक्षा और समावेशन के क्षेत्र में उदाहरण पेश किया है, और डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर ने शिक्षा में तेज प्रगति सुनिश्चित की। उन्होंने यह भी कहा कि जो उपलब्धियाँ सामान्यत: 50 साल में हासिल होतीं, वह भारत ने डिजिटल नवाचार के माध्यम से केवल एक दशक में पूरी कर ली हैं।