Prime Minister Narendra Modi and Congress MP Shashi Tharoor: भारत ने महत्वपूर्ण वैश्विक राजधानियों में बहु-पार्टी संसदीय प्रतिनिधिमंडलों को भेजने का जो निर्णय लिया है, वह सामान्य कूटनीति नहीं बल्कि एक स्पष्ट राष्ट्रीय एकता का संदेश है। यह पहल सीमा पार आतंकवाद जैसे अपरिहार्य मुद्दे पर सभी राजनीतिक दलों के एकजुट होने का प्रतीक है।

भारत की सात प्रतिनिधिमंडल टीमों में विभिन्न राजनीतिक दलों के सदस्य शामिल हैं, जो पाकिस्तान की 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकवादी हमले में प्रत्यक्ष भूमिका, आतंकवाद को एक राज्य नीति के रूप में इस्तेमाल करने और हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के तहत हुई घटनाओं पर विदेशी सरकारों को जानकारी देंगी। प्रत्येक टीम पाकिस्तान की संलिप्तता के प्रमाणों के साथ विस्तृत डोज़ियर लेकर जाएगी, ताकि अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाया जा सके और वैश्विक सहमति को मजबूत किया जा सके।

यह पहल उन गलत धाराओं के खिलाफ भी एक ज़रूरी कदम है जो भारत और पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर बराबर की स्थिति में दिखाने की कोशिश करते हैं। भारत का संदेश स्पष्ट है: आतंकवाद से लड़ने वाले राष्ट्र और आतंकवाद प्रायोजित राष्ट्र के बीच कोई नैतिक समानता नहीं हो सकती।

ऐतिहासिक संदर्भ और प्रभाव

यह रणनीति नई नहीं है, इसका इतिहास और सफलता पहले भी साबित हो चुकी है। 1994 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हा राव ने जिनेवा में एक बहु-पार्टी टीम भेजी थी, जिसमें अटल बिहारी वाजपेयी और फारूक अब्दुल्ला भी शामिल थे, जिन्होंने पाकिस्तान की चालाकी को उजागर किया था। 2008 में 26/11 मुंबई हमलों के बाद भी ऐसी कूटनीतिक पहल की गई थी, जिसके परिणामस्वरूप पाकिस्तान को वैश्विक स्तर पर निंदा का सामना करना पड़ा और वह फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ग्रे लिस्ट में शामिल हुआ।

भारत की वर्तमान वैश्विक पहल

यह कदम भारत के अन्य राजनयिक प्रयासों से मेल खाता है, जैसे कि संयुक्त राष्ट्र के आतंकवाद विरोधी कार्यालय के साथ संवाद, द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) को यूएन-लिस्टेड आतंकी संगठन के रूप में शामिल कराने के लिए लॉबिंग, और 1267 प्रतिबंध समिति को TRF के लिंक को लश्कर-ए-तैयबा से जोड़कर अवगत कराना।

पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो द्वारा “शांति प्रतिनिधिमंडल” भेजने की घोषणा इस बढ़ते वैश्विक दबाव के प्रति उनकी चिंता को दर्शाती है। वहीं भारत की यह बहु-पार्टी कूटनीतिक पहल तथ्यों और राष्ट्रीय संकल्प पर आधारित है।

आतंकवाद के खिलाफ भारत का संदेश स्पष्ट और एकजुट है। देश की सभी राजनीतिक पार्टियां मिलकर आतंकवाद के खिलाफ खड़ी हैं और दुनिया को यह दिखा रही हैं कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर राजनीति नहीं होती।

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