नई दिल्ली। Axiom-4 मिशन के लॉन्च के दस मिनट बाद, भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने एक छोटा सा बयान दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि यह सिर्फ उनका अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ओर पहला कदम नहीं था, बल्कि यह भारत के मानव अंतरिक्ष मिशन कार्यक्रम की शुरुआत थी।
उनका यह बयान भले ही 41 साल पहले राकेश शर्मा के उस ऐतिहासिक जवाब जैसा न हो, जब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उनसे पूछा था कि अंतरिक्ष से भारत कैसा दिखता है, और शर्मा ने कहा था, “सारे जहाँ से अच्छा”, फिर भी शुक्ला का बयान और उनका ISS की ओर यात्रा भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में लगातार उभरते हुए शक्ति के प्रतीक हैं।
ISRO के लिए नया युग
शुक्ला की यात्रा भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक नए अध्याय की शुरुआत को दर्शाती है, जहां मानव अंतरिक्ष उड़ान अब उतनी ही सामान्य हो जाएगी, जितना सैटेलाइट लॉन्च। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने भले ही 2022 तक एक मानव को अंतरिक्ष में भेजने का अपना महत्वाकांक्षी लक्ष्य पूरा नहीं किया, लेकिन यह चुनौती ISRO में नई ऊर्जा का संचार करने का कारण बनी और इसके बाद गगनयान परियोजना पर तेजी से काम शुरू हुआ। इस परियोजना में मानव अंतरिक्ष मिशनों की एक श्रृंखला शामिल है, जिसे ISRO ने अपनी अंतरिक्ष यात्रा में एक महत्वपूर्ण कदम माना है।
गगनयान परियोजना: भारत का स्वदेशी अंतरिक्ष मिशन
गगनयान मिशन भारत का पहला स्वदेशी मानव अंतरिक्ष मिशन होगा, जिसमें भारतीय अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में जाएंगे। इसका उद्देश्य भारत को मानव अंतरिक्ष उड़ान की स्वतंत्र और आत्मनिर्भर क्षमता देना है। गगनयान की सफलता न केवल ISRO के लिए, बल्कि भारत के लिए भी एक ऐतिहासिक मील का पत्थर होगा, जो देश को अंतरिक्ष क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण वैश्विक खिलाड़ी के रूप में स्थापित करेगा।