Lucknow: प्रदेश में सहकारी बैंकों की वित्तीय हालत खराब होती जा रही है, और इसका असर जनता पर भी पड़ रहा है। पिछले हफ्ते आरबीआई ने एक और सहकारी बैंक, नेशनल मर्केन्टाइल को-ऑपरेटिव बैंक, पर प्रतिबंध लगा दिया है। अब इस पर मार्च 2025 तक रोक लगा दी गई है। यह पिछले कुछ दिनों में दूसरा बैंक है, जिस पर आरबीआई ने कार्रवाई की है। इससे पहले एचसीबीएल बैंक पर भी इसी तरह की रोक लगाई गई थी। अब तक, 11 से ज्यादा सहकारी बैंकों में लोग अपने 500 करोड़ रुपये से ज्यादा खो चुके हैं।

बैंकों की खराब स्थिति

खराब माली हालत के कारण आरबीआई ने लखनऊ स्थित हिंदुस्तान को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड (एचसीबीएल) पर रोक की अवधि बढ़ाकर अगले साल तक कर दी थी। अब, एक हफ्ते के भीतर ही नेशनल मर्केन्टाइल को-ऑपरेटिव बैंक पर भी मार्च 2025 तक प्रतिबंध लगा दिया गया है। इससे पहले इंडियन मर्केन्टाइल को-ऑपरेटिव बैंक पर भी इसी तरह का प्रतिबंध लगा चुका है। इसके अलावा यूनाइटेड मर्केन्टाइल को-ऑपरेटिव बैंक और पीपुल्स को-ऑपरेटिव बैंक में भी लोगों की जमापूंजी डूब चुकी है।

RBI की निगरानी में आने के बाद बढ़ी समस्याएं

आरबीआई ने पिछले चार साल पहले बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट में बदलाव कर सहकारी बैंकों को अपनी सीधे निगरानी में ले लिया था। इसके बाद से इन बैंकों का आडिट भी आरबीआई की गाइडलाइंस के अनुसार हो रहा है, जिससे वित्तीय अनियमितताओं का पता चलना शुरू हुआ है। इसके कारण लगातार बैंकों में घोटालों का सिलसिला बढ़ गया है।

इन बैंकों पर RBI की नजर

इसके अलावा, कुछ और सहकारी बैंक जिसमें लखनऊ अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक और सीतापुर अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक भी खराब स्थिति में हैं। जिसकी वजह से आरबीआई की नजर में हैं। पायनियर अर्बन (लखनऊ), यूनाइटेड कॉमर्शियल को-ऑपरेटिव बैंक (कानपुर), मेरठ का मर्केंटाइल यूएसबीएल, और महामेधा यूसीबीएल पहले ही डूब चुके हैं।

आम जनता परेशान

ऐसे में इन बैंकों की खराब हालत ने आम लोगों को चिंता में डाल दिया है, और सरकार व आरबीआई से बैंकों के सुधार की उम्मीदें बढ़ गई हैं।

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