नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सड़क सुरक्षा और बीमा नीति को लेकर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि अगर कोई व्यक्ति रेसिंग, स्टंट या लापरवाही से वाहन चलाते हुए मौत का शिकार होता है, तो उसके परिजन बीमा क्लेम के हकदार नहीं होंगे। इस फैसले का प्रभाव देश भर में हजारों बीमा दावों पर पड़ सकता है।

यह फैसला एक ऐसे केस में आया जिसमें एक युवक की सड़क पर रेसिंग करते वक्त मौत हो गई थी। मृतक के माता-पिता ने बीमा कंपनी से मुआवजे की मांग की, लेकिन बीमा कंपनी ने दावे को खारिज कर दिया, जिस पर मामला अदालत तक पहुंचा। सुनवाई के दौरान अदालत ने पाया कि यह हादसा युवक की खुद की लापरवाही और जोखिम उठाने की प्रवृत्ति का नतीजा था, जिसे बीमा शर्तों के तहत कवर नहीं किया जा सकता।

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु उसकी अपनी लापरवाही या जानबूझकर जोखिम उठाने के कारण होती है, जैसे रेसिंग, स्टंट या अत्यधिक गति, तो बीमा कंपनी पर मुआवजा देने का दायित्व नहीं डाला जा सकता। यह निर्णय बीमा अनुबंध की सीमाओं और व्यक्तिगत ज़िम्मेदारी को रेखांकित करता है।

बीमा क्लेम के नियमों में क्या स्पष्ट हुआ?

बीमा पॉलिसी का उद्देश्य अप्रत्याशित दुर्घटनाओं से सुरक्षा देना है, जानबूझकर जोखिम उठाने से नहीं।
स्टंट, रेसिंग, नशे में वाहन चलाना या ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन, इन सबके तहत बीमा क्लेम स्वतः अमान्य हो सकता है।
बीमा धारकों को अब अपनी पॉलिसी की शर्तों को और गंभीरता से समझना होगा।

इस फैसले का व्यापक प्रभाव

यह निर्णय बीमा कंपनियों के लिए कानूनी सुरक्षा कवच बनकर आया है। सड़क सुरक्षा के प्रति लापरवाही बरतने वाले वाहन चालकों पर सीधा प्रभाव डालेगा। बीमा कंपनियां अब दावे की जांच में लापरवाही/राशनल रिस्क के आधार को और मजबूत करेंगी।

बीमा कानून विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला उन लोगों को कड़ा संदेश देगा जो सड़क को रेस ट्रैक समझ बैठते हैं। साथ ही बीमा उद्योग को अनुचित मुआवजा दावों से भी राहत मिलेगी।

UP News | 10 बजे की बड़ी खबरें | Breaking News | Hindi News | Politics | Uttar Pradesh

शेयर करना
Exit mobile version