बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर चुनाव आयोग ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कई महत्वपूर्ण बातें साझा कीं। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बताया कि बिहार में 243 विधानसभा क्षेत्र हैं, जिसमें से 2 एसटी (आदिवासी) और 38 एससी (अनुसूचित जाति) के लिए सीटें आरक्षित हैं।

चुनाव आयोग ने यह भी बताया कि बिहार विधानसभा का कार्यकाल 22 नवंबर 2025 को समाप्त हो रहा है, और चुनाव इससे पहले होंगे। इस बार पहली बार बूथ स्तर के अधिकारियों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है, जो कि एसआईआर (विशेष गहन पुनरीक्षण) के तहत 24 जून 2025 को लॉन्च हुआ था और समय सीमा में पूरा हुआ।

पारदर्शिता और निष्पक्षता पर जोर

चुनाव आयोग ने इस बार पारदर्शिता और निष्पक्षता को सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाए हैं। धन और बाहुबल के दुरुपयोग को रोकने के लिए आयोग ने आयकर विभाग, पुलिस, और अन्य प्रवर्तन एजेंसियों के साथ बैठक की। इन बैठकों का मुख्य उद्देश्य चुनाव में ईमानदारी बनाए रखना था।

राजनीतिक दलों से अपील

चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों से भी अपील की कि वे चुनाव प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लें। आयोग ने दलों को चुनाव के दौरान मतदान एजेंट और मतगणना एजेंट नियुक्त करने को कहा। इसके साथ ही आयोग ने राजनीतिक दलों से आग्रह किया कि वे चुनाव को एक उत्सव की तरह मनाएं, जैसे छठ पर्व मनाते हैं।

नई पहल और सुधार

राजनीतिक दलों ने चुनाव आयोग द्वारा किए गए सुधारों की सराहना की। उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए चुनावों को कम चरणों में आयोजित किया जाए और मतदाता सूची को भी बेहतर किया जाए। इसके अलावा, हर मतदान केंद्र पर मतदाताओं की संख्या 1,200 तक सीमित करने का सुझाव दिया गया।

चुनाव आयोग ने सभी दलों से कहा कि वे फॉर्म 17सी को समय पर सौंपें और चुनाव प्रक्रिया को समान और निष्पक्ष बनाने के लिए पूरी तरह से सहयोग करें। ऐसे में बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर चुनाव आयोग ने तैयारियों और सुधारों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी। आयोग का उद्देश्य चुनाव प्रक्रिया को और अधिक साफ-सुथरा, निष्पक्ष और पारदर्शी बनाना है, ताकि सभी मतदाता बिना किसी दबाव के अपने वोट का इस्तेमाल कर सकें।

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