Smoking without Smoking: क्या आपने कभी सोचा है कि बिना सिगरेट पिए भी आपको कैंसर हो सकता है? अगर नहीं, तो अब सतर्क हो जाइए। डॉक्टरों और हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो सेकेंड हैंड स्मोकिंग यानी दूसरों की सिगरेट से निकले धुएं को सांस के जरिए अंदर लेना, उतना ही घातक है जितना खुद सिगरेट पीना।

खतरा जो दिखता नहीं, लेकिन मारता ज़रूर है

भारत में लाखों लोग ऐसे हैं जो खुद कभी सिगरेट नहीं पीते, लेकिन उनके आसपास लोग धड़ल्ले से धुआं उड़ा रहे होते हैं — ऑफिस में, घर में, सार्वजनिक जगहों पर। यह धुआं ही धीरे-धीरे बन रहा है कैंसर, हृदय रोग और बच्चों की बीमारी की जड़।

सेकेंड हैंड स्मोकिंग को अब “Passive Smoking” के साथ-साथ साइलेंट किलर भी कहा जाने लगा है, क्योंकि इसका असर धीरे‑धीरे और बिना किसी शुरुआती लक्षण के होता है।

1. क्या होती है सेकेंड हैंड स्मोकिंग?

सेकेंड हैंड स्मोकिंग तब होती है जब आप खुद सिगरेट नहीं पीते, लेकिन दूसरों के पीने से निकले धुएं को सांस के साथ शरीर में ले लेते हैं।
यह धुआं दो स्रोतों से आता है:

  • Mainstream Smoke: जो सिगरेट पीने वाला छोड़ता है
  • Sidestream Smoke: जो सिगरेट के जलने से निकलता है

इस मिश्रित धुएं में 7,000 से ज़्यादा केमिकल्स होते हैं, जिनमें से 69 रसायन कैंसर पैदा कर सकते हैं।

2. डॉक्टर्स की चेतावनी: हर सांस में ज़हर

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि सेकेंड हैंड स्मोकिंग को हल्के में लेना भारी भूल हो सकती है।
यह धुआं न सिर्फ फेफड़ों को खराब करता है बल्कि…

  • दिल की धड़कन पर असर डालता है
  • बच्चों की ग्रोथ को रोकता है
  • गर्भवती महिलाओं में समय से पहले डिलीवरी या बच्चे का कम वजन होने का कारण बन सकता है

3. प्रदूषण: नया रूप बन गया है सेकेंड हैंड स्मोकिंग का

केवल सिगरेट का धुआं ही नहीं, अब तो वायु प्रदूषण भी सेकेंड हैंड स्मोकिंग जैसा खतरनाक बन चुका है। विशेषकर दिल्ली-NCR जैसे शहरों में हवा की गुणवत्ता (AQI) इतनी खराब हो गई है कि सांस लेना सिगरेट पीने के बराबर माना जा रहा है। AQI 400+ होने पर, आप बिना सिगरेट पिए भी लगभग 27 सिगरेट जितना धुआं रोज़ अंदर ले रहे हैं।

4. क्या खुले में धुआं कम नुकसानदायक है?

बहुत से लोग सोचते हैं कि अगर कोई बाहर सिगरेट पी रहा है और हम थोड़ी दूरी पर हैं, तो नुकसान नहीं होगा। लेकिन एक्सपर्ट्स के अनुसार, धुएं के जहरीले तत्व हवा, कपड़ों, बालों और सतहों पर घंटों–दिनों तक टिके रहते हैं — जिन्हें “Thirdhand Smoke” कहा जाता है।

5. सबसे ज्यादा खतरा किसे है?

बच्चे:

  • दिमागी विकास में रुकावट
  • अस्थमा और सांस की बीमारियां
  • इम्यून सिस्टम पर असर

गर्भवती महिलाएं:

  • समय से पहले प्रसव
  • भ्रूण की वृद्धि में बाधा
  • जन्म के समय कम वजन

6. इससे कैसे बचें? — सुझाव और समाधान

  • ऐसे स्थानों पर बैठने से बचें जहाँ लोग सिगरेट पी रहे हों
  • घर और कार को पूरी तरह नो स्मोकिंग ज़ोन बनाएं
  • अपने बच्चों को पब्लिक प्ले एरिया या भीड़भाड़ वाली जगहों पर ले जाते समय सावधानी रखें
  • अगर आपके परिवार का कोई सदस्य सिगरेट पीता है, तो उसे सेकेंड हैंड स्मोकिंग के खतरों के बारे में जागरूक करें
  • Air Purifiers का उपयोग करें खासकर प्रदूषित क्षेत्रों में

“सिर्फ सिगरेट पीना ही नहीं, उसका धुआं भी जानलेवा है।” सेकेंड हैंड स्मोकिंग का असर धीरे‑धीरे होता है, लेकिन इसका परिणाम लंबे समय तक शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है। चाहे वह सिगरेट हो या प्रदूषित हवा – अगर आप सांस ले रहे हैं, तो सावधान रहिए। क्योंकि यह धीमा ज़हर आपकी और आपके अपनों की जान ले सकता है। अब वक्त है साइलेंट किलर को पहचानने का और उससे बचने के लिए ठोस कदम उठाने का।

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