सोचिए आप अपने बच्चे के साथ किसी पार्टी या सार्वजनिक जगह पर हैं और उसने कोई शरारत कर दी। गुस्से में आप उसे वहीं सबके सामने डांट देते हैं। यह सामान्य लगता है, लेकिन इसका असर आपके बच्चे की मानसिकता पर बेहद गहरा हो सकता है।

1. आत्मविश्वास में कमी:

बच्चा सोचता है कि वह सबके सामने गलत साबित हो गया है। इससे उसमें शर्म और हीन भावना घर कर लेती है और वह खुद पर विश्वास खोने लगता है।

2. चिड़चिड़ापन और विद्रोह:

लगातार डांटने से बच्चे के भीतर यह सोच बन सकती है कि “मेरे अच्छे काम की कोई कीमत नहीं।” यह उसे विद्रोही, जिद्दी और चिड़चिड़ा बना सकता है।

3. माता-पिता से दूरी:

बार-बार बेइज्जती झेलने के बाद बच्चा सोचता है कि उसके माता-पिता उसे समझते नहीं हैं। वह बात छिपाने लगता है और धीरे-धीरे दूरी बना लेता है।

4. सामाजिक मेलजोल से डर:

बच्चा सोचने लगता है कि लोग उसे जज करेंगे या मज़ाक उड़ाएंगे। इससे वह लोगों से मिलना बंद कर देता है और सामाजिक गतिविधियों से कतराने लगता है।

5. गुस्सा और जलन:

जिनके सामने बच्चे को डांटा गया, उनके प्रति वह गुस्सा या जलन रखने लगता है। यह उसके भविष्य के रिश्तों को नुकसान पहुंचा सकता है।

क्या करें डांटने के बजाय?

बच्चे को अकेले में प्यार से समझाएं। उसे गलती का कारण और उसका असर बताएं। इससे वह सुरक्षित महसूस करेगा और रिश्ते भी मज़बूत होंगे।

सही पेरेंटिंग का मतलब सिर्फ सिखाना नहीं, समझाना भी है। सार्वजनिक डांट से बचें और बच्चे के मन में आपकी छवि एक गाइड, न कि डराने वाले की बनाएं।

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