आगरा। सरकारी नौकरियों में आरक्षण की व्यवस्था लंबे समय से लागू है, लेकिन अब निजी क्षेत्र में भी आरक्षण की मांग जोर पकड़ने लगी है। इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया है आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद ने। आगरा में आयोजित “अस्तित्व बचाओ–भाईचारा बनाओ” प्रबुद्ध जनसम्मेलन में उन्होंने निजीकरण के दौर में आरक्षण के सीमित हो रहे अवसरों पर चिंता जताते हुए प्राइवेट सेक्टर में भी आरक्षण लागू करने की मांग की।
चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि, “सरकारी विभागों का तेजी से निजीकरण हो रहा है, जिससे अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्गों को मिलने वाले आरक्षण के अवसर लगातार कम हो रहे हैं। अगर प्राइवेट सेक्टर में भी आरक्षण लागू नहीं हुआ तो यह वर्ग और पीछे छूट जाएगा। समावेशी विकास सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है कि प्राइवेट सेक्टर में भी आरक्षण लागू किया जाए।”
चंद्रशेखर आजाद ने जनसभा में रखे 6 प्रमुख मुद्दे
इस सम्मेलन में चंद्रशेखर आजाद ने सामाजिक न्याय और लोकतंत्र को मजबूत करने के उद्देश्य से 6 अहम बिंदुओं पर अपने विचार रखे:
- OBC जातिवार जनगणना की मांग:
उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि जानबूझकर OBC की जातिगत जनगणना नहीं कराई जा रही है, जो सामाजिक न्याय के खिलाफ है।
- संविधान और आरक्षण पर खतरा:
उन्होंने कहा कि मौजूदा शासन प्रणाली आरक्षण को निष्प्रभावी करने की दिशा में काम कर रही है। संविधान की मूल भावना को बचाने के लिए सतर्क रहना जरूरी है।
- EVM प्रणाली की पारदर्शिता पर सवाल:
आजाद ने EVM को लेकर चिंता जताई और कहा कि यह व्यवस्था लोकतंत्र की पारदर्शिता को नुकसान पहुंचा रही है।
- वंचित वर्गों पर अत्याचार:
उन्होंने कहा कि दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों और मुस्लिमों पर अत्याचार तेजी से बढ़ रहे हैं, जो संविधान और सामाजिक ताने-बाने के लिए खतरनाक संकेत हैं।
- प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण:
उन्होंने निजी क्षेत्रों में अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्ग को प्रतिनिधित्व देने की पुरजोर मांग की।
- मंडल कमीशन की सिफारिशों को लागू करने की मांग:
आजाद ने कहा कि मंडल आयोग की सिफारिशें आज भी अधूरी हैं और उन्हें पूरी तरह लागू करना समय की मांग है। इस सम्मेलन में बड़ी संख्या में बुद्धिजीवियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और आजाद समाज पार्टी के कार्यकर्ताओं की मौजूदगी रही। चंद्रशेखर आजाद ने अपने संबोधन के जरिए सामाजिक न्याय, समता और लोकतंत्र को मजबूत करने की पुरजोर वकालत की।