Prayagraj Flood. प्रयागराज इस वक्त जलप्रलय जैसी स्थिति से जूझ रहा है। गंगा और यमुना, दोनों नदियों के जलस्तर में लगातार बढ़ोतरी के चलते शहर के कई इलाकों में पानी भर गया है। विशेष रूप से संगम क्षेत्र और इसके आस-पास के इलाके पूरी तरह से गंगा में डूब चुके हैं। जहां सड़कों पर गाड़ियां दौड़ा करती थीं, वहां अब नावें चल रही हैं। प्रयागराज के उत्तरी और पूर्वी हिस्से में हालात सबसे ज्यादा खराब हैं।
प्रशासन के दावों की खुली पोल
महाकुंभ की तैयारियों के दौरान प्रशासन ने जिस विकास मॉडल और बुनियादी ढांचे की बात की थी, वह बाढ़ के कुछ दिनों में ही धराशायी होता दिख रहा है। शहर में बिजली की आपूर्ति ठप है, पेयजल की भारी समस्या उत्पन्न हो गई है, और हजारों लोग अपने घरों में कैद होकर रह गए हैं।
नाव ही बनी जिंदगी का सहारा
संगम क्षेत्र, दारागंज, झूसी, बेली गांव, मुठ्ठीगंज जैसे क्षेत्र पूरी तरह जलमग्न हैं। आम लोग अपनी जान बचाने के लिए नावों की मदद ले रहे हैं। कई जगहों पर लोगों ने छतों पर शरण ली है।
प्रशासनिक इंतजाम फेल
हालांकि जिला प्रशासन राहत व बचाव कार्यों में जुटा है, लेकिन हालात पर पूरी तरह काबू नहीं पाया जा सका है। राहत शिविर कम पड़ रहे हैं और लोगों तक मदद पहुंचने में देरी हो रही है। बाढ़ प्रभावित इलाकों में मोबाइल नेटवर्क और इंटरनेट सेवा भी बाधित हो गई है, जिससे आपदा संचार प्रभावित हुआ है।
कुंभ के नाम पर हुए खर्च पर उठे सवाल
महाकुंभ 2025 की तैयारियों को लेकर करोड़ों रुपये खर्च करने का दावा किया गया था। लेकिन महज कुछ दिनों की बारिश और गंगा में आए उफान ने साबित कर दिया है कि यह खर्च कितना कारगर रहा। जनता अब यह सवाल उठा रही है कि जब कुछ दिन की बारिश में पूरा शहर डूब सकता है, तो महाकुंभ जैसी विशाल धार्मिक घटना के दौरान व्यवस्थाएं कैसे काम करेंगी?
स्थिति अभी भी गंभीर
बाढ़ का पानी फिलहाल घटने के कोई संकेत नहीं दे रहा है। मौसम विभाग ने आगामी दिनों में और बारिश की चेतावनी जारी की है। ऐसे में प्रयागराज के लोगों को अभी और संघर्ष झेलना पड़ सकता है। जिला प्रशासन ने स्कूलों को बंद कर दिया है और बाढ़ग्रस्त इलाकों में लोगों से सतर्क रहने की अपील की है।