मछुआरों और छोटे मत्स्य समुदायों के विकास की पहल, केंद्र सरकार ने पारंपरिक मछुआरों और छोटे मत्स्य समुदायों के कल्याण और आजीविका को बेहतर बनाने के लिए पिछले पांच वित्तीय वर्षों (2020-21 से 2024-25) में ₹4,969.62 करोड़ की परियोजनाओं को मंजूरी दी है। इनमें केंद्र सरकार का योगदान ₹1,823.58 करोड़ है।

यह मंजूरी प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के तहत दी गई है, जिसे 2020-21 में ₹20,050 करोड़ के निवेश के साथ शुरू किया गया था। इस योजना का उद्देश्य मत्स्य पालन क्षेत्र का समग्र विकास और मछुआरों के जीवन स्तर में सुधार करना है।

जलवायु-प्रतिरोधी मत्स्य पालन को बढ़ावा

राज्यसभा में मत्स्य पालन मंत्री राजीव रंजन सिंह ने बताया कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए PMMSY के तहत समुद्री शैवाल (सीवीड) और बाइवेल्व खेती, ओपन सी केज कल्चर, आर्टिफिशियल रीफ्स की स्थापना और सी रैंचिंग जैसी जलवायु-प्रतिरोधी गतिविधियों को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। इसके लिए ₹115.78 करोड़ की परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं।

गहरे समुद्र में मछली पकड़ने के लिए आधुनिक सुविधाएं

पारंपरिक मछुआरों के लिए 480 गहरे समुद्र में मछली पकड़ने वाले जहाजों की खरीद और 1,338 मौजूदा जहाजों को निर्यात मानकों के अनुसार उन्नत करने के लिए ₹769.64 करोड़ की मंजूरी दी गई है।

मछुआरों के लिए आर्थिक और पोषण सहायता

PMMSY के तहत पारंपरिक और सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े मछुआरों को मछली पकड़ने पर प्रतिबंध के दौरान आजीविका और पोषण सहायता के रूप में हर साल 5.94 लाख परिवारों को लाभ पहुंचाया जा रहा है। इसके साथ ही, 131.13 लाख मछुआरों को बीमा कवर भी प्रदान किया गया है।

सुरक्षा के लिए आधुनिक तकनीक

योजना के तहत ₹364 करोड़ की लागत से 1 लाख ट्रांसपोंडर्स मछली पकड़ने वाले जहाजों पर लगाए जा रहे हैं। यह सुविधा आपातकालीन स्थिति में संचार, चक्रवात या प्राकृतिक आपदा की चेतावनी और समुद्री सीमा पार करने पर अलर्ट प्रदान करती है।

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत छोटे मछुआरों और पारंपरिक मत्स्य समुदायों के लिए केंद्र सरकार के ये प्रयास न केवल उनके जीवन स्तर को सुधारने में मदद करेंगे, बल्कि जलवायु-प्रतिरोधी और स्थायी मत्स्य पालन को भी प्रोत्साहित करेंगे। इससे समुद्री और अंतर्देशीय मछुआरों को आजीविका के साथ-साथ सुरक्षा की नई सुविधाएं मिलेंगी।

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