प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस सप्ताह 75 वर्ष के हो जाएंगे। यह एक हीरे की जयंती है, उस व्यक्ति के लिए जिसने अपनी प्रारंभिक जिंदगी गुमनामी में बिताई, मध्य वर्षों में संगठनात्मक काम को समर्पित किया, और फिर सत्ता के शिखर पर पहुंचकर दिल्ली से गांधीनगर तक अपने प्रभाव का विस्तार किया।
कुछ हफ्तों पहले तक, 17 सितंबर को न केवल उनके जन्मदिन के रूप में देखा जा रहा था, बल्कि इसे एक राजनीतिक सस्पेंस थ्रिलर के रूप में भी माना जा रहा था। सवाल था: क्या मोदी इस्तीफा देंगे? जो लोग सांस थामकर इस सवाल का जवाब जानने के लिए इंतजार कर रहे थे, उन्हें यह जवाब 28 अगस्त को मिल गया।
मोदी का जीवन: संघर्ष से सफलता तक
नरेंद्र मोदी ने अपनी यात्रा अनामिता से शुरू की थी, जब उन्होंने गुजरात में साधारण कार्यकर्ता के रूप में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी। इसके बाद उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (BJP) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) में अपनी संगठनात्मक क्षमताओं का परिचय दिया। लेकिन वह दिन दूर नहीं था जब उनका नाम भारत के सबसे प्रभावशाली नेताओं में गिना जाने लगा। गांधीनगर से दिल्ली तक उनके प्रभाव का फैलाव राजनीति में एक नई सोच और दिशा का परिचायक बना।
सत्ता के शिखर पर मोदी
प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने अपनी नीतियों और निर्णयों से भारत को एक नए रास्ते पर आगे बढ़ाया। उनके नेतृत्व में भारत ने कई अहम मोर्चों पर महत्वपूर्ण बदलाव देखे: डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, स्वच्छ भारत अभियान, और जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 का निरसन, ये सभी उनकी सरकार की प्रमुख उपलब्धियाँ रही हैं।
राजनीतिक सस्पेंस का अंत
17 सितंबर को लेकर जो राजनीतिक संदेह था, वह 28 अगस्त को समाप्त हो गया, जब प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी निरंतर नेतृत्व की इच्छा और प्रतिबद्धता को स्पष्ट कर दिया। उनके इस्तीफे की अफवाहों के बावजूद, यह साफ हो गया कि मोदी का इरादा अपनी सरकार और देश के विकास की दिशा में काम करना जारी रखने का है।
उनके 75 वर्षों का जीवन एक प्रेरणा है, और प्रधानमंत्री मोदी का नेतृत्व न केवल भारतीय राजनीति में बल्कि वैश्विक मंच पर भी महत्वपूर्ण बन चुका है।