प्रदेश के विभिन्न जिलों में मौसम में बदलाव के साथ रात और सुबह के तापमान में गिरावट तो हो रही है, लेकिन दिन में गर्मी का एहसास भी बढ़ रहा है। ऐसे मौसम परिवर्तन के कारण अस्थमा और सांस की समस्या से ग्रस्त होने वाले मरीजों की संख्या में इज़ाफा देखा जा रहा है।
मौसम में परिवर्तन और अस्थमा पर प्रभाव
उदयपुर के महाराणा भूपाल अस्पताल के अधीक्षक, आरएल सुमन ने बताया कि दीपावली के बाद से रातों का तापमान धीरे-धीरे गिरने लगा है, जबकि दिन में गर्मी बनी हुई है। इस बदलाव से अस्पतालों में अस्थमा और सांस संबंधी रोगों के मरीजों की संख्या में वृद्धि हो रही है। सुमन के अनुसार, मौसम में बदलाव से अस्थमा के लक्षण तेज हो सकते हैं, जिनमें खांसी, सीने में जकड़न और सांस लेने में तकलीफ शामिल हैं।
क्यों होता है अस्थमा ?
अस्थमा एक जेनेटिक बीमारी है, जो फेफड़ों की सूजन, जलन और एयरवेज के सिकुड़ने के कारण होती है। इस वजह से मरीजों को सांस लेने में मुश्किल होती है और उनका वायुमार्ग अवरुद्ध हो जाता है।
सीजनल अस्थमा के लक्षण
अधिकारियों के अनुसार, कई बार मौसम में बदलाव के कारण कुछ लोगों को सीजनल अस्थमा के लक्षण महसूस होते हैं, जो तापमान और ह्यूमिडिटी में बदलाव के साथ उभरते हैं। इससे मरीजों को खांसी, सांस की घरघराहट और सीने में जकड़न का अनुभव हो सकता है।
अस्थमा मरीजों के लिए सावधानियां
अस्थमा से ग्रस्त मरीजों को सुमन ने कुछ खास टिप्स दिए हैं, जिनसे वे बदलते मौसम में स्वस्थ रह सकते हैं:
- घर पर रहें तो सावधानी बरतें: घर से बाहर जाते वक्त मास्क का उपयोग करें और ठंडी हवाओं से बचें।
- गर्म पानी पीने की आदत डालें: समय-समय पर गर्म पानी पीने से गले में राहत मिलती है, जबकि ठंडे खाद्य पदार्थों से बचें।
- भीड़-भाड़ वाले इलाकों से बचें: ऐसे इलाकों में जाने से संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।
- सुबह के समय ध्यान रखें: खासतौर से अस्थमा के मरीजों को सुबह उठते समय गर्म कपड़े पहनकर बाहर निकलना चाहिए, क्योंकि सुबह के समय तापमान बहुत कम होता है।
समझदारी से रखें सेहत का ध्यान
मौसम के इस उतार-चढ़ाव में अस्थमा और सांस की समस्याओं को गंभीर न समझें। सही सावधानियां बरतने से इन समस्याओं से बचा जा सकता है। साथ ही, अगर लक्षण गंभीर हो जाएं, तो डॉक्टर से संपर्क करें।













