Pilibhit Tiger Reserve Tiger Count 2025. उत्तर प्रदेश के पीलीभीत टाइगर रिजर्व (पीटीआर) से आई ताजा रिपोर्ट वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक बड़ी सफलता की ओर इशारा करती है। पीटीआर और वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (WWF) द्वारा संयुक्त रूप से किए गए एक आंतरिक सर्वे में सामने आया है कि रिजर्व में अब लगभग 80 बाघ मौजूद हैं। यह आंकड़ा 2022 में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) की पिछली गणना में दर्ज 71 बाघों से 9 अधिक है।
बाघों की संख्या में वृद्धि, लेकिन सुरक्षा को लेकर चिंता
हालांकि यह वृद्धि वन्यजीव संरक्षण के लिहाज से महत्वपूर्ण मानी जा रही है, लेकिन इससे ग्रामीण इलाकों में मानव-वन्यजीव संघर्ष का खतरा भी तेजी से बढ़ रहा है। पीटीआर के डीएफओ मनीष सिंह के अनुसार, यह संख्या केवल उन बाघों की है जो रिजर्व के कोर एरिया में सक्रिय कैमरा ट्रैप में दर्ज किए गए। उन्होंने बताया कि करीब 30-35 फीसदी बाघ ऐसे भी हो सकते हैं, जो कोर क्षेत्र में भीड़ अधिक होने के कारण आसपास के खेतों और रिहायशी इलाकों की ओर चले जाते हैं।
दो चरणों में कैमरा ट्रैप सर्वे पूरा, 620 वर्ग किमी क्षेत्र में तैनात हुए कैमरे
अधिकारियों के मुताबिक, यह आंतरिक सर्वे नवंबर 2024 में शुरू होकर मार्च 2025 में पूरा हुआ। इसके तहत 620 वर्ग किलोमीटर के कोर क्षेत्र को 2×2 किलोमीटर के 316 ग्रिड में बांटा गया।
- पहले चरण में माला, महोफ और देउरिया वन रेंज में कैमरे लगाए गए, जिन्हें जनवरी 2025 के अंतिम सप्ताह में हटाया गया।
- दूसरे चरण में बहरही और हरिपुर रेंज में फरवरी के मध्य में कैमरे लगाए गए, जिन्हें मार्च के अंतिम सप्ताह में हटाया गया।
WWF के जीवविज्ञानी आशीष बिस्टा और रोहित रवि की टीम ने चार महीनों तक इन कैमरा ट्रैप्स से मिली हजारों छवियों का विश्लेषण कर आंकड़ों को अंतिम रूप दिया।
ग्रामीण इलाकों में बाघों का बढ़ता मूवमेंट, सात लोगों की मौत
डीएफओ मनीष सिंह ने पुष्टि की कि बाघों की बढ़ती संख्या अब रिहायशी इलाकों में खतरे का कारण बन रही है। 14 मई से 17 जुलाई के बीच पीटीआर से सटे गांवों में 7 ग्रामीणों की मौत बाघों के हमले में हुई है। अधिकारियों को आशंका है कि रिजर्व के बाहर शिकार की तलाश में निकल रहे बाघ आगे भी इंसानों के संपर्क में आ सकते हैं।
वन विभाग की प्राथमिकता अब ऐसे बाघों की लगातार मॉनिटरिंग, रैपिड रिस्पॉन्स टीमों की तैनाती और ग्रामीणों को सतर्क करने के अभियान पर केंद्रित है।
अगला कदम: डब्ल्यूआईआई और पीटीआर प्रबंधन को साझा किया जाएगा डेटा
पीटीआर वन अधिकारियों ने बताया कि WWF द्वारा किए गए इस सर्वे के नतीजे जल्द ही भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के साथ साझा किए जाएंगे। वहीं, दुधवा टाइगर रिजर्व (DTR) में भी इस तरह के आंकड़ों का विश्लेषण चल रहा है, जिसकी जानकारी डीटीआर के फील्ड डायरेक्टर एच. राजामोहन ने दी है।
संरक्षण बनाम संघर्ष: अब अगली चुनौती बाघों और इंसानों के सहअस्तित्व की
जहां एक ओर बाघों की संख्या में बढ़ोतरी भारत की सफल वन्यजीव नीति और संरक्षण कार्यक्रमों की ओर इशारा करती है, वहीं दूसरी ओर यह मानव आबादी के साथ बढ़ते संघर्ष का नया अध्याय भी बनती जा रही है। विशेषज्ञों के मुताबिक, रिजर्व के बाहर निकलते बाघों की ट्रैकिंग, ट्रेंकुलाइजेशन और सुरक्षित पुनर्वास ही अब वास्तविक चुनौती बन चुकी है।
वन विभाग की रणनीति में अब सेंसर आधारित बाड़बंदी, ड्रोन से निगरानी, और गांवों के आसपास चेतावनी बोर्ड लगाने जैसे उपाय शामिल किए जा रहे हैं। प्रशासन ग्रामीणों को जागरूक करने के लिए भी लगातार अभियान चला रहा है।