वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने गुरुवार को कहा कि ड्रोन घटकों के लिए उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना इस क्षेत्र की प्रगति के लिए एक किकस्टार्टर है और इसे सरकार की ओर से स्थायी सब्सिडी के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि सरकार का इरादा उद्योग को इस पर निर्भर बनाने का नहीं है।

गोयल ने कहा, “पीएलआई योजना अपने आप में एक अंत नहीं है। इसका उद्देश्य शुरुआत करना है… यह कोई स्थायी सब्सिडी नहीं है। इसका उद्देश्य आपको सरकार पर स्थायी रूप से निर्भर बनाना नहीं है।”

उन्होंने कहा, “सरकार की बैसाखियों पर निर्भर रहने के रास्ते पर मत चलें।”

उन्होंने यह भी कहा कि “खाता-खात” जैसे वादे देश के आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता को कमजोर करते हैं। विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने देश के हर गरीब परिवार की एक महिला के बैंक खाते में एक लाख रुपए जमा कराने का चुनावी वादा किया था।

भारत ने इलेक्ट्रॉनिक्स, ड्रोन, व्हाइट गुड्स, टेक्सटाइल और फार्मा समेत 14 क्षेत्रों के लिए 1.97 लाख करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ पीएलआई योजनाएं शुरू की हैं। घरेलू विनिर्माण और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए 2020 में कोविड महामारी के दौरान इनकी घोषणा की गई थी।

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गोयल ने उद्योग जगत से कहा, “आपने सुझाव दिया कि सरकार को इसे अपनाना चाहिए। हालांकि, मेरा अलग विचार है कि सभी मंत्रालय व्यापार करने में आसानी के लिए आपके साथ मिलकर काम करेंगे, आपको विनिर्माण, बैंकिंग सुविधाएं, स्टार्टअप वित्तपोषण की सुविधाएं प्रदान करेंगे।” मंत्री ने कहा कि पहले छह महीनों में 18 आईपीओ हुए हैं और शेयर बाजार बहुत तेजी से बढ़ रहा है। उन्होंने कहा, “हमारी सरकार के 10 वर्षों में शेयर बाजार चार गुना बढ़ गया है। भारत विकास के चक्र पर तेजी से आगे बढ़ रहा है और शेयर बाजार उस प्रगति के कारण बढ़ रहा है।”

गोयल ने कहा कि पूरा विश्व भारत के साथ जुड़ना चाहता है, मुक्त व्यापार समझौते और द्विपक्षीय निवेश संधियां करना चाहता है, व्यापार बढ़ाना चाहता है और भारत में निवेश भी करना चाहता है।

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