Adani Group: अडानी समूह की गतिशीलता पिछले दो वर्षों में महत्वपूर्ण बदलावों से गुजरी है, जिसमें समूह के शेयर प्रतिज्ञा, उत्तोलन (लेवरेज), ऋण चुकौती, और सापेक्ष मूल्यांकन में महत्वपूर्ण विकास हुए हैं। हाल ही में, 21 नवंबर 2024 को अमेरिका से संबंधित घटनाक्रम ने अडानी समूह के निवेशकों और उधारदाताओं के बीच चिंता को फिर से जन्म दिया। हालांकि, समूह ने इन मुद्दों के समाधान में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जिससे जोखिम पहले की तुलना में कम होते दिख रहे हैं।
शेयर प्रतिज्ञा में गिरावट
अडानी समूह के शेयर प्रतिज्ञा (pledged shares) को लेकर पहले भारी चिंता थी, खासकर इसके डोमिनोज़ प्रभाव के डर से। लेकिन पिछले 1.5 वर्षों में समूह ने इस मुद्दे पर महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। अडानी पावर के शेयर प्रतिज्ञा में 25% से घटकर 1% और अडानी पोर्ट्स में 17% से शून्य तक की गिरावट आई है। इसके साथ ही, समूह की प्रमोटर होल्डिंग भी बढ़ी है, खासकर अंबुजा सीमेंट में, जहां प्रमोटर होल्डिंग 63% से बढ़कर 68% हो गई है।
उत्तोलन (लेवरेज) में बदलाव
शॉर्ट सेलर घटना के बाद समूह का कुल ऋण कम हुआ था, जो मार्च 2023 में 2,410 बिलियन रुपये से घटकर सितंबर 2023 में 2,385 बिलियन रुपये हो गया था। हालांकि, अब यह बढ़कर 2,793 बिलियन रुपये हो गया है, जो मुख्य रूप से अडानी एंटरप्राइजेज में वृद्धि के कारण हुआ है। हालांकि, समूह ने अपनी संपत्तियों की गतिविधियों को तेज किया है, जैसे कि अदानी ग्रीन और अदानी एंटरप्राइजेज में लाभप्रदता में सुधार, जिससे EBITDA में वृद्धि हुई है। इसके अतिरिक्त, समूह के पास सितंबर 2024 तक 390 बिलियन रुपये की नकदी आरक्षित है, जो मार्च 2023 में 223 बिलियन रुपये था।
ऋण चुकौती और बॉन्ड का संकट
अडानी समूह के लिए ऋण चुकौती का मुद्दा हमेशा चर्चा में रहा है। हालांकि, 2024 में चुकौती की अनुसूची अधिक संतुलित है, जिससे कुछ राहत मिली है। पिछली बार, अडानी ग्रीन के पास कैलेंडर 2024 में अपने ऋण का महत्वपूर्ण हिस्सा चुकता करना था, जिसमें $750 मिलियन का होल्डको बॉन्ड भी शामिल था। इस बार, चुकौती के लिए अधिक संतुलन देखा जा रहा है, हालांकि, अडानी ग्रीन के $ रिवॉल्विंग क्रेडिट फैसिलिटी (RCF) को लेकर कुछ चिंता बनी हुई है, जिसमें से 89 बिलियन रुपये मार्च 2025 में देय हैं। लेकिन, अडानी ग्रीन के पास 59 बिलियन रुपये की नकदी मौजूद है, जिससे यह चिंता कम होती दिखती है।
मूल्यांकन पर नजर
समूह की कंपनियों का सापेक्ष मूल्यांकन पहले की तुलना में अब अधिक संतुलित है। विशेष रूप से अडानी पोर्ट्स, जेएसडब्ल्यू इंफ्रा और कॉनकॉर अन्य प्रमुख कंपनियों की तुलना में कम मूल्यांकन पर कारोबार कर रहे हैं। वहीं, अडानी ग्रीन का मूल्यांकन अन्य निजी क्षेत्र के प्रतिस्पर्धियों जैसे जेएसडब्ल्यू एनर्जी के समान है, क्योंकि इसका कोई करीबी प्रतिद्वंद्वी नहीं है।
ऋण चुकौती और बॉन्ड के मुद्दे
बता दें कि अडानी समूह ने पिछले कुछ वर्षों में अपनी वित्तीय स्थिति को सुधारने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जिससे अब इसके लिए जोखिम कम होते दिख रहे हैं। हालांकि, आने वाले समय में भी ऋण चुकौती और बॉन्ड के मुद्दे समूह के निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण बने रहेंगे।