पहलगाम के बैरसन घाटी में हुए भीषण आतंकी हमले की जांच में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। जांच एजेंसियों ने पुष्टि की है कि इस हमले की साजिश पाकिस्तान में बैठे लश्कर-ए-तैयबा के आकाओं ने रची थी। आतंकियों को पाकिस्तान में खून-खराबे की विशेष ट्रेनिंग दी गई थी। जांच में पता चला कि आतंकवादी कोकरनाग के जंगलों से 20-22 घंटे पैदल चलकर बैरसन घाटी पहुंचे थे। इस हमले में चार आतंकी शामिल थे, जिनमें तीन पाकिस्तानी और एक स्थानीय आदिल ठोकर हुसैन था।

आदिल हुसैन की भूमिका और पाकिस्तान कनेक्शन
स्थानीय आतंकी आदिल ठोकर हुसैन ने 2018 में पाकिस्तान जाकर लश्कर-ए-तैयबा से आतंकवाद की ट्रेनिंग ली थी। कश्मीर लौटने के बाद वह पाकिस्तानी आतंकियों का स्थानीय मददगार बन गया। आदिल ने आतंकियों को लॉजिस्टिक सपोर्ट और रास्ता दिखाने का काम किया। इतना ही नहीं, टूरिस्टों के बीच काम करने वालों में भी अपना नेटवर्क खड़ा किया और मुखबिरी कराई। कोकरनाग के जंगलों में आतंकियों की ट्रैकिंग भी आदिल की मदद से ही संभव हुई थी।

स्थानीय फोटोग्राफर का वीडियो बना जांच का अहम सबूत
एनआईए और फोरेंसिक टीमों ने घटनास्थल से कई अहम सुराग जुटाए हैं। इस बीच एक स्थानीय फोटोग्राफर द्वारा हमले के दौरान बनाया गया वीडियो जांच में बड़ा सबूत बनकर सामने आया है। फोटोग्राफर ने पेड़ पर छिपकर हमले की पूरी फुटेज रिकॉर्ड कर ली थी। एनआईए की टीमें बैरसन घाटी समेत कश्मीर के विभिन्न इलाकों में जांच कर रही हैं और हमले से जुड़े सभी पहलुओं की गहनता से पड़ताल कर रही हैं।

दुकानों के पीछे से हमला, धर्म पूछकर की गई हत्याएं
जांच में खुलासा हुआ है कि आतंकवादियों ने AK-47 और M4 राइफलों से अंधाधुंध गोलीबारी की थी। घटनास्थल से चाइनीज स्टील कारतूस भी बरामद हुए हैं, जो बुलेटप्रूफ जैकेट को भी भेद सकते हैं। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि दो आतंकी दुकानों के पीछे से आए और पर्यटकों से कलमा पढ़ने को कहा। न पढ़ पाने पर उन्होंने कई लोगों को करीब से गोली मार दी। दो अन्य आतंकियों ने जिपलाइन एरिया के पास से फायरिंग की। हमले में एक नेपाली नागरिक समेत कुल 26 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी।

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