Bhagwant Mann Government Drug Prevention. पंजाब में नशे ने समाज के हर हिस्से को प्रभावित किया है। कई परिवारों के लिए यह एक बड़ा संकट बन चुका है, और अब तक हजारों युवा इसकी चपेट में आ चुके हैं। लेकिन अब पंजाब में नशे से लड़ाई एक नई दिशा में जा रही है। भगवंत मान सरकार ने एक ऐतिहासिक और क्रांतिकारी निर्णय लिया है, जिसके तहत राज्य के सरकारी स्कूलों में कक्षा 9वीं से 12वीं तक के बच्चों को नशे से बचाव के लिए एक वैज्ञानिक पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा।
यह फैसला न केवल एक पाठ्यक्रम की शुरुआत का प्रतीक है, बल्कि पंजाब के भविष्य को संवारने की दिशा में एक मजबूत कदम है। अब तक नशे के खिलाफ जो कदम उठाए जा रहे थे, वे मुख्यतः पुलिस कार्रवाई तक सीमित थे। लेकिन इस बार सरकार ने नशे से लड़ाई को शिक्षा की जड़ तक पहुंचाने का निर्णय लिया है, और यह बदलाव केवल कागजों तक सीमित नहीं होगा, बल्कि वास्तविक बदलाव के रूप में सामने आएगा।
नशे के खिलाफ वैज्ञानिक पाठ्यक्रम
इस पाठ्यक्रम को तैयार करने में नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर अभिजीत बनर्जी की टीम का योगदान रहा है। यह पाठ्यक्रम बच्चों को नशे के खतरों के बारे में जागरूक करेगा और उन्हें यह सिखाएगा कि कैसे वे दबाव का सामना कर सकते हैं और अपने फैसले खुद ले सकते हैं। इस पाठ्यक्रम में फिल्में, पोस्टर, वर्कशीट और इंटरेक्टिव गतिविधियों के जरिए बच्चों की सोच को मज़बूत किया जाएगा।
पंजाब के 3,658 सरकारी स्कूलों में लगभग 8 लाख बच्चे इस पाठ्यक्रम का हिस्सा होंगे। इस पाठ्यक्रम को 27 हफ्तों के दौरान बच्चों को हर पंद्रहवें दिन 35 मिनट की कक्षा में पढ़ाया जाएगा। इसके साथ ही 6,500 से अधिक शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है ताकि वे बच्चों को सही तरीके से नशे से बचने की शिक्षा दे सकें।
पायलट प्रोजेक्ट से चौंकाने वाले परिणाम
इस पाठ्यक्रम का पायलट प्रोजेक्ट अमृतसर और तरनतारन के 78 स्कूलों में शुरू किया गया था, और इसके परिणाम बहुत ही सकारात्मक रहे। पायलट प्रोजेक्ट में 9,600 बच्चों ने हिस्सा लिया, और इनमें से 90% बच्चों ने माना कि चिट्टा जैसे नशे की एक बार सेवन से लत लग सकती है। इसके अलावा, पहले जहां 50% बच्चे यह मानते थे कि केवल इच्छाशक्ति से नशा छोड़ा जा सकता है, अब वह संख्या घटकर सिर्फ 20% रह गई है। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि शिक्षा के माध्यम से बच्चों के दृष्टिकोण में बड़ा बदलाव आ सकता है और यह समाज में सकारात्मक परिवर्तन की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा।
नशे के खिलाफ सख्त कार्रवाई और जागरूकता
भगवंत मान सरकार की नीति स्पष्ट है, नशे के खिलाफ लड़ाई सिर्फ दंडात्मक कार्रवाई से नहीं जीती जा सकती। इसके लिए लोगों की सोच और समझ में बदलाव लाना होगा। मार्च 2025 से शुरू हुआ युद्ध नशे के खिलाफ अभियान अब तक 23,000 से अधिक नशा तस्करों को सलाखों के पीछे भेज चुका है। सरकार ने 1,000 किलो से अधिक हेरोइन और कई करोड़ों की संपत्ति जब्त की है।
लेकिन सरकार का मानना है कि असली बदलाव तभी आएगा जब हमारे बच्चे खुद से कहेंगे कि वे नशे से दूर रहेंगे। यही कारण है कि मान सरकार ने शिक्षा के जरिए नशे के खिलाफ एक ठोस कदम उठाया है।
मान सरकार की सामाजिक क्रांति
यह कदम न सिर्फ पंजाब की शिक्षा व्यवस्था में एक बड़ा बदलाव है, बल्कि यह एक सामाजिक क्रांति की शुरुआत भी है। भगवंत मान सरकार की यह नीति सिर्फ एक शिक्षा नीति नहीं, बल्कि समाज में जागरूकता और संवेदनशीलता बढ़ाने का अभियान है। यह नीति इस बात को साबित करती है कि सरकार केवल चुनावी वादे नहीं करती, बल्कि जमीन पर काम करती है और सच्चे बदलाव के लिए ठोस कदम उठाती है।
आने वाले समय में, यह नीति न सिर्फ पंजाब, बल्कि देशभर के लिए एक मॉडल बन सकती है। जब यह नशे के खिलाफ बदलाव की इस नीति को पूरा देश अपनाएगा, तब न केवल पंजाब, बल्कि पूरा भारत एक नशामुक्त समाज की दिशा में आगे बढ़ेगा।
अब हर पंजाबी गर्व से कह सकेगा, मेरे बच्चे को नशे से बचाने के लिए सरकार खड़ी है, और यही है भगवंत मान सरकार की असली पहचान – समाज की सेवा, और सच्ची राजनीति।