JP NADDA IN RAJYA SABHA. केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने हाल ही में राज्यसभा में अपने बयान में पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई को लेकर सरकार की राजनीतिक इच्छाशक्ति पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि पूर्व सरकार के वरिष्ठ अधिकारी, जैसे विदेश सचिव और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, पाकिस्तान पर कड़ी कार्रवाई करने से हिचकते रहे थे। नड्डा ने यह भी कहा, पुलिस और सेना तो मौजूद थीं, लेकिन राजनीतिक नेतृत्व में इच्छाशक्ति की कमी थी। उनका कहना था कि बिना मजबूत नेतृत्व के प्रभावी कार्रवाई संभव नहीं है, और मोदी सरकार ने यह साबित कर दिया कि निर्णय लेने की क्षमता महत्वपूर्ण है।
अनुच्छेद 370 निरस्तीकरण से आतंकवाद पर प्रहार
जेपी नड्डा ने जम्मू और कश्मीर में अनुच्छेद 370 की निरस्तीकरण के बाद की स्थिति पर भी बयान दिया। उन्होंने कहा कि इस कदम के बाद 2010-2014 के बीच कश्मीर में पत्थरबाजी की घटनाएं 2000 से घटकर शून्य हो गईं। उन्होंने यह भी बताया कि पिछले तीन वर्षों में कश्मीर घाटी एक भी दिन बंद नहीं हुई और स्थानीय आतंकवाद लगभग समाप्त हो चुका है। नड्डा ने इसे मोदी सरकार की कड़ी आतंकवाद विरोधी नीति और शून्य सहिष्णुता का परिणाम बताया, जिसमें केवल विदेशी आतंकवादी बचे हैं जिनका औसत जीवनकाल मात्र सात दिन का है।
सर्जिकल स्ट्राइक और भारत का संकल्प
नड्डा ने उरी हमले के बाद हुई सर्जिकल स्ट्राइक का जिक्र किया और कहा, उरी हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार सार्वजनिक रूप से यह कहा कि हम हमलावरों को न बख्शेंगे। नड्डा ने बताया कि इसी बयान के तीन दिन बाद सर्जिकल स्ट्राइक की गई और आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया गया। उन्होंने इसे बदलते भारत की मिसाल बताया और कहा कि यह वह राजनीतिक इच्छाशक्ति थी, जो पहले की सरकारों में नहीं थी, जहां केवल कहा जाता था “देखेंगे क्या करना है।
मोदी सरकार में मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति
जेपी नड्डा ने विपक्ष पर हमला करते हुए कहा, यूपीए सरकार के दौरान कश्मीर जाने में भी गृहमंत्री को डर लगता था। उन्होंने बताया कि आतंकवाद और बातचीत साथ नहीं चल सकते, लेकिन तत्कालीन सरकार ने आतंकी हमलों के बावजूद पाकिस्तान के साथ बातचीत जारी रखी और केवल डोजियर भेजे, जबकि भारत में बम धमाके आम हो गए थे।
बीजेपी सरकार में आतंकवादी हमलों में कमी
ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा करते हुए, जेपी नड्डा ने यह भी बताया कि 2004 से 2014 तक आतंकी हमलों में 1770 लोगों की जान गई, जबकि 2014 से 2024 तक इस आंकड़े में 70 प्रतिशत की कमी आई और केवल 357 लोग मारे गए। नड्डा ने कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि वह कड़े कदम उठाने से कतराती थी, और पाकिस्तान के साथ रिश्ते बनाए रखने के लिए आतंकवाद को नजरअंदाज किया जाता था।
कांग्रेस की नीतियों पर आलोचना
जेपी नड्डा ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि जब वह सत्ता में थी, तब पाकिस्तान के साथ अपीजमेंट की नीति अपनाई गई थी और पाकिस्तान को मिठाई खिलाने के बावजूद भारत में आतंकी हमले होते रहे। उन्होंने विपक्ष की मानसिकता पर भी सवाल उठाया और कहा, यह वही लोग हैं जो हाफिज सईद जैसे आतंकियों को ‘जी’ कहकर संबोधित करते थे।
राजनीतिक नेतृत्व का महत्व
नड्डा ने कहा कि किसी भी देश के लिए राजनीतिक नेतृत्व का मजबूत होना बेहद जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि एक ऐसी सरकार जो समय पर निर्णय लेती है, वही प्रभावी होती है। नड्डा ने 2004-2014 के बीच की सरकार पर निशाना साधते हुए कहा उस समय कई आतंकी घटनाओं के बाद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। उन्होंने विपक्ष से सवाल किया कि जो लोग आज पहलगाम हमले पर हमसे सवाल पूछ रहे हैं, उन्हें पहले अपने कार्यकाल की ओर नजर डालनी चाहिए।