Namo Drone Didi Yojana. लोकसभा में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री रामनाथ ठाकुर ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर शुरू की गई ‘नमो ड्रोन दीदी’ योजना के तहत अब तक 14,500 ड्रोन स्वीकृत किए जा चुके हैं। इनमें से 1,021 ड्रोन पंजाब को, 583 हरियाणा को और 75 हिमाचल प्रदेश को आवंटित किए गए हैं। योजना का उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना और उन्हें खेती में आधुनिक तकनीकों का उपयोग करने योग्य बनाना है।
2023-24 में अब तक 1,094 ड्रोन देशभर की महिला स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को वितरित किए जा चुके हैं, जिनमें से 500 ड्रोन ‘नमो ड्रोन दीदी’ योजना के अंतर्गत दिए गए हैं। इनमें से पंजाब में 57 महिलाओं को ड्रोन मिल चुके हैं और उन्हें डीजीसीए द्वारा मान्यता प्राप्त प्रशिक्षण संस्थानों में ड्रोन पायलट की ट्रेनिंग दी गई है।
यह योजना प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 2023 के स्वतंत्रता दिवस पर की गई घोषणा के बाद नवंबर में शुरू की गई थी, जिसमें 15,000 महिलाओं को ड्रोन संचालन में प्रशिक्षित करने का लक्ष्य रखा गया था। इसका उद्देश्य था कि देश में कम से कम दो करोड़ “लखपति दीदी” तैयार की जाएं जो SHGs के माध्यम से आय अर्जन कर सकें।
योजना की विशेषताएं
योजना को केंद्रीय क्षेत्र की योजना के रूप में ₹1,261 करोड़ की लागत से 2023-24 से 2025-26 तक चलाया जा रहा है। इसके अंतर्गत महिला SHGs को 80% की केंद्रीय वित्तीय सहायता दी जा रही है, अधिकतम ₹8 लाख तक के ड्रोन पैकेज पर। हर समूह की एक सदस्य को 15 दिन का पायलट प्रशिक्षण और दूसरी सदस्य/परिजन को 5 दिन का सहायक प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।
जमीनी हकीकत और समस्याएं
सरकार ने माना है कि महिला ड्रोन पायलटों को बैटरी की चार्जिंग और परिवहन जैसे कई व्यवहारिक मुद्दों का सामना करना पड़ रहा है। बैंगलोर स्थित कृषि विकास और ग्रामीण परिवर्तन केंद्र (ADRTC) द्वारा की गई एक स्टडी के मुताबिक ड्रोन एक एकड़ खेत को केवल 7-8 मिनट में कवर कर लेता है, परंतु एक बैटरी पर उड़ान का समय केवल 5 से 20 मिनट होता है। इसके चलते अतिरिक्त बैटरियों की आवश्यकता होती है। सरकार ने इसके लिए ड्रोन पैकेज में एक स्टैंडर्ड बैटरी के साथ चार अतिरिक्त बैटरी का प्रावधान किया है।
परिवहन की चुनौती
रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि जिन क्षेत्रों में ड्रोन के साथ यूटिलिटी वाहन नहीं दिए गए, वहां 42.68% ड्रोन दीदियों को ट्रांसपोर्टेशन में दिक्कत हुई, खासकर दक्षिण भारत में यह आंकड़ा 78.82% रहा। वहीं 68.66% महिलाओं ने कहा कि किराए पर वाहन लेना महंगा पड़ता है। इस समस्या के समाधान के लिए ‘कृषि यंत्रीकरण उप-मिशन’ (SMAM) के तहत बहुउद्देश्यीय वाहन खरीदने पर 80% वित्तीय सहायता देने का प्रावधान किया गया है।
ड्रोन के इस्तेमाल से SHGs की गतिविधियों में विविधता आई है, कृषि कार्यों की दक्षता बढ़ी है और ग्रामीण महिलाओं के लिए आय के नए अवसर खुले हैं।