देशराज दीपक कपूर, बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय (BBAU) लखनऊ के पर्यावरण सूक्ष्मजीवविज्ञान विभाग के पीएच.डी. शोधार्थी, ने देशभर के शीर्ष 100 प्रतिभागियों में चयनित होने की उपलब्धि हासिल की है। अब वह अपने शोध कार्य को आगामी Emerging Science, Technology and Innovation Conclave (ESTIC-2025) में प्रस्तुत करेंगे। यह प्रतिष्ठित सम्मेलन भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) द्वारा आयोजित किया जा रहा है और यह 3 से 5 नवम्बर 2025 तक भारत मंडपम, प्रगति मैदान, नई दिल्ली में आयोजित होगा।
यह सम्मेलन विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नवाचारों को बढ़ावा देने का एक प्रमुख मंच है। इसका उद्देश्य वैश्विक वैज्ञानिकों, नीति-निर्माताओं, और नवप्रवर्तकों को एकजुट करना है ताकि “विकसित भारत 2047” के लक्ष्य की दिशा में सहयोग और नवाचार को प्रोत्साहित किया जा सके।
ESTIC-2025 सम्मेलन में, नोबेल पुरस्कार विजेताओं सहित वैश्विक ख्याति प्राप्त व्यक्तित्वों द्वारा प्लेनरी वार्ता आयोजित की जाएगी, जो भारत के विज्ञान और प्रौद्योगिकी की दिशा तय करेंगी। सम्मेलन में 11 थीमैटिक तकनीकी सत्र होंगे, जिनमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता, जैव-निर्माण, ऊर्जा और पर्यावरण, स्वास्थ्य, क्वांटम विज्ञान, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी जैसे महत्वपूर्ण विषय शामिल होंगे। इसके अलावा, 75 प्रदर्शनी स्टॉल होंगे, जहां डीप-टेक स्टार्टअप्स और उद्योग अपने अत्याधुनिक नवाचारों और उत्पादों का प्रदर्शन करेंगे।
दीपक कपूर का चयन इस सम्मेलन में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, क्योंकि उन्हें अपने शोध कार्य को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुत करने का अवसर प्राप्त होगा। उनका शोध मुख्य रूप से जैव-प्लास्टिक, विशेष रूप से पॉलीहाइड्रॉक्सीब्यूटाइरेट (Polyhydroxybutyrate – PHB) के उत्पादन और अनुकूलन पर केंद्रित है। उनका लक्ष्य पेट्रोलियम आधारित प्लास्टिक के स्थान पर जैव-विघटनीय (biodegradable) विकल्प विकसित करना है, जो पर्यावरण के लिए अत्यधिक लाभकारी साबित हो सकता है।
दीपक कपूर का शोध क्षेत्र पर्यावरण सूक्ष्मजीवविज्ञान, औद्योगिक जैवप्रौद्योगिकी, और सामग्री विज्ञान के संगम पर आधारित है। उनका शोध जैव-प्लास्टिक के उत्पादन के लिए सूक्ष्मजीवों का उपयोग करता है और इसे कम लागत में तैयार करने की प्रक्रिया पर आधारित है। उन्होंने बताया कि उनका शोध इस तथ्य पर भी केंद्रित है कि PHB और इसके सह-पॉलीमर का उपयोग बायोमेडिकल क्षेत्र में टिश्यू रीजेनेरेशन, घाव भरने, दवा वितरण प्रणाली, और बायोरेसॉर्बेबल इम्प्लांट्स के रूप में किया जा सकता है।
इसके अलावा, दीपक कपूर ने यह भी बताया कि उनका शोध अंतरिक्ष विज्ञान में भी अत्यधिक संभावनाशील है। भविष्य में, अंतरिक्ष अभियानों में जहां हल्के और सतत जैव-आधारित पदार्थों की आवश्यकता होगी, वहां PHB जैसे जैवपॉलिमर का उपयोग किया जा सकता है। यह न केवल अंतरिक्ष यात्रा के कचरा प्रबंधन में सहायक होगा, बल्कि अंतरिक्ष में आवास निर्माण और बायोमेडिकल उपकरणों के निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
दीपक कपूर का चयन इस सम्मेलन में उनके शोध के महत्व को दर्शाता है और यह भविष्य में उनके लिए कई नए अवसरों का द्वार खोलेगा। उनका कार्य पर्यावरण संरक्षण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नवाचार और सामाजिक भलाई के लिए महत्वपूर्ण योगदान देने के रूप में देखा जा सकता है।