भारत द्वारा विकसित यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) अब पूरी दुनिया में डिजिटल भुगतान का सबसे तेज़ और बड़ा सिस्टम बन चुका है। एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, UPI अब हर महीने करीब 18 अरब से अधिक लेन-देन संभाल रहा है। इसने अमेरिका के Visa और चीन के WeChat Pay जैसे दिग्गजों को पीछे छोड़ दिया है।

UPI के कुछ प्रमुख आंकड़े

  • मासिक ट्रांजैक्शन: 18.39 अरब से अधिक
  • ट्रांजैक्शन वैल्यू (जून 2025): ₹24 लाख करोड़+
  • दैनिक लेन-देन: 650 मिलियन (Visa के 639 मिलियन से ज़्यादा)
  • 2024–25 में कुल टर्नओवर: ₹261 लाख करोड़
  • भारत में कुल UPI उपयोगकर्ता: 49 करोड़+
  • UPI से जुड़े बैंक और व्यापारी: 675 बैंक, 65 लाख व्यापारी

7 देशों में विस्तार और लक्ष्य 20 देशों का

UPI केवल भारत तक सीमित नहीं है। यह अब UAE, सिंगापुर, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, फ्रांस और मॉरीशस जैसे देशों में काम कर रहा है। भारत सरकार का लक्ष्य है कि 2028 तक इसे 20 देशों में सक्रिय किया जाए।

UPI को इतनी सफलता क्यों मिली?

  • इंटरऑपरेबिलिटी: किसी भी बैंक या ऐप से लेन-देन संभव
  • QR कोड-आधारित भुगतान: छोटे दुकानदारों से लेकर बड़े व्यापारी तक सबको सुविधा
  • सरल UI और जीरो शुल्क: ग्राहकों और व्यापारियों के लिए मुफ़्त और आसान
  • जनधन, मोबाइल और डिजिटलीकरण का मेल: भारत के डिजिटल इंडिया अभियान का नतीजा

अंतरराष्ट्रीय पहचान और अगला कदम

  • अंतरराष्ट्रीय संस्थानों जैसे IMF और World Bank ने UPI की तारीफ़ की है।
  • G20 समिट और BRICS मीटिंग्स में इसे वैश्विक मानक बनाने की कोशिशें तेज़
  • भारत चाहता है कि UPI जैसे डिजिटल मॉडल को अन्य विकासशील देश भी अपनाएं

भारत की UPI न केवल तकनीकी रूप से उन्नत है, बल्कि यह देश की आर्थिक समावेशिता, डिजिटल सशक्तिकरण और वैश्विक नेतृत्व का प्रतीक बन चुकी है। आने वाले समय में यह दुनिया भर के लिए डिजिटल पेमेंट का आदर्श मॉडल बन सकती है।

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