देवरिया। जिले की बहुचर्चित दिशा बैठक उस समय विवादों में घिर गई, जब बरहज के भाजपा विधायक दीपक मिश्र उर्फ शाका बैठक के बीच से ही गुस्से में उठकर बाहर चले गए। अधिकारियों पर जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा का गंभीर आरोप लगाते हुए उन्होंने स्पष्ट कहा इस बैठक का कोई मतलब नहीं है। अधिकारी जनप्रतिनिधियों की बात नहीं सुनते। मामला इतना तूल पकड़ गया कि विधायक ने बैठक को छोड़ सीधे PWD दफ्तर जाने की घोषणा कर दी और वहीं बैठक करने का ऐलान किया।
देवरिया कलेक्ट्रेट सभागार में जिले के विकास कार्यों की समीक्षा के लिए दिशा (District Development Coordination and Monitoring Committee) की बैठक बुलाई गई थी। बैठक में जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी, विभागीय अधिकारी, सांसद प्रतिनिधि और विभिन्न विधायक मौजूद थे।
बैठक के दौरान बरहज से भाजपा विधायक दीपक मिश्र उर्फ शाका ने अधिकारियों पर गंभीर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने आरोप लगाया कि अफसर जनप्रतिनिधियों की बातों को अनसुना करते हैं और फील्ड में काम नहीं करते।
गुस्से में छोड़ी बैठक, PWD दफ्तर में करने लगे समीक्षा
गुस्से में भरकर विधायक ने बैठक बीच में छोड़ दी और अधिकारियों को लताड़ते हुए कहा सुनिए SDM साहब, मैं अब PWD ऑफिस जा रहा हूं, अब वहीं बैठक करूंगा। आप लोग सिर्फ दिखावे की बैठक करते हैं, धरातल पर कुछ नहीं होता।
इस बयान ने बैठक में मौजूद सभी लोगों को चौंका दिया। उसके बाद विधायक वाकई सीधे PWD कार्यालय पहुंच गए और वहां अधिकारियों को बुलाकर सड़क और निर्माण कार्यों की समीक्षा करने लगे।
जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा का आरोप
विधायक शाका ने कहा कि पिछले कई महीनों से वे अफसरों से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन न कोई सुनवाई हो रही है और न ही कोई कार्रवाई। उन्होंने कहा हम जनता के प्रतिनिधि हैं। जब हमारी बात अफसर नहीं सुनेंगे तो जनता की समस्याएं कैसे हल होंगी? यह तो लोकतंत्र का मजाक है।
प्रशासन मौन, मामला तूल पकड़ने की आशंका
घटना के बाद जिला प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन सूत्रों की मानें तो प्रशासनिक स्तर पर इसे अनुशासनहीनता के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि, अफसरों की उदासीनता और जमीनी कार्यों में लापरवाही को लेकर पहले भी कई बार शिकायतें सामने आ चुकी हैं।
राजनीतिक हलचल भी तेज
इस पूरे घटनाक्रम ने जिले में राजनीतिक सरगर्मियों को तेज कर दिया है। स्थानीय भाजपा कार्यकर्ता विधायक के समर्थन में उतर आए हैं, जबकि विपक्ष इसे प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के बीच तालमेल की कमी का उदाहरण बता रहा है।