भारत का फार्मास्युटिकल उद्योग affordability (सुलभता), innovation (नवाचार) और inclusivity (समावेशिता) के बल पर वैश्विक मंच पर लगातार तेजी से आगे बढ़ रहा है। इंडिया रेटिंग्स (फिच ग्रुप से जुड़ी संस्था) के अनुसार अप्रैल 2025 में इस क्षेत्र ने सालाना आधार पर 7.8% की वृद्धि दर्ज की है।

भारत फार्मा उत्पादन में वॉल्यूम के लिहाज़ से दुनिया में तीसरे और वैल्यू के हिसाब से 14वें स्थान पर है। यह दुनिया का सबसे बड़ा जेनेरिक दवाओं का आपूर्तिकर्ता है, जो वैश्विक मांग का 20% पूरा करता है। साथ ही, भारत यूनिसेफ की वैश्विक वैक्सीन जरूरतों का 55-60% हिस्सा सप्लाई करता है। 2023-24 में इस क्षेत्र का टर्नओवर ₹4.17 लाख करोड़ रहा, और बीते पांच वर्षों से यह 10% से अधिक की दर से बढ़ रहा है।

सरकार के अनुसार इस विकास से सस्ती दवाओं की उपलब्धता, स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और देशभर में रोजगार के अवसर बढ़े हैं। प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (PMBJP) के तहत देशभर में 15,479 केंद्रों के माध्यम से 80% तक सस्ती जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।

फार्मा क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने के लिए ₹15,000 करोड़ का PLI स्कीम, 55 परियोजनाओं को कैंसर व डायबिटीज जैसी बीमारियों की दवाओं के निर्माण में मदद कर रही है। साथ ही, ₹6,940 करोड़ की योजना के तहत देश में पेनिसिलिन-G जैसे महत्वपूर्ण API (Active Pharmaceutical Ingredients) के उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है।

बुल्क ड्रग पार्क्स, मेडिकल डिवाइसेज़ PLI स्कीम, और SPI स्कीम जैसी योजनाएं भी भारत को “मेड इन इंडिया, फॉर द वर्ल्ड” फार्मा हब में बदल रही हैं। 2023-24 में इस क्षेत्र में ₹12,822 करोड़ का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आया, जो अंतरराष्ट्रीय विश्वास को दर्शाता है।

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