लखनऊ : सरोजनीनगर के विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ (पूर्व ट्विटर) पर पर्यावरण संरक्षण को लेकर एक भावनात्मक और जागरूकता से भरा संदेश साझा किया। उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा, “धरती रो रही है, अब हमारी बारी है।”

डॉ. राजेश्वर सिंह ने अपने विस्तृत संदेश में कहा कि आज हर व्यक्ति अपने काम, परिवार और दिनचर्या में इतना व्यस्त है कि उसे यह एहसास तक नहीं होता कि हमारी धरती अब बीमार हो चुकी है। उन्होंने लोगों से अपील करते हुए लिखा कि, “हम अपने घर साफ रखते हैं, लेकिन उस धरती माता को गंदा कर रहे हैं, जहां हम सब रहते हैं। अगर प्रकृति थम गई, तो इंसान का अस्तित्व भी थम जाएगा।”

छोटे कदम, बड़ा असर – आंकड़े बोलते हैं:
डॉ. सिंह जी ने अपने पोस्ट में वैज्ञानिक तथ्यों और अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट्स का उल्लेख करते हुए बताया कि कैसे व्यक्तिगत स्तर पर छोटे कदम उठाकर बड़ा परिवर्तन लाया जा सकता है

ऊर्जा की बचत:
केवल एक LED बल्ब बदलने से भारत 40 अरब यूनिट बिजली बचा सकता है और 3.8 करोड़ टन CO₂ उत्सर्जन घटा सकता है — यानी 80 लाख कारों को सड़कों से हटाने जितना प्रभाव।

परिवहन में बदलाव:
यदि सिर्फ़ 10% छोटी यात्राएं लोग पैदल या साइकिल से करें, तो हर साल 20 करोड़ टन CO₂ कम होगा।

जल संरक्षण:
एक टपकता नल सालाना 10,000 लीटर पानी बर्बाद करता है। अगर 10 लाख परिवार सावधान हो जाएं, तो 10 अरब लीटर पानी बच सकता है – इतने से 1 लाख लोगों की सालभर की प्यास बुझ सकती है।

भोजन की बर्बादी:
हर साल भोजन की बर्बादी से 9.3 अरब टन CO₂ निकलता है – जिसे रोककर चीन और अमेरिका के संयुक्त वार्षिक उत्सर्जन के बराबर राहत दी जा सकती है।

वृक्षारोपण:
एक पेड़ हर साल लगभग 20 किलोग्राम CO₂ अवशोषित करता है। अगर हर भारतीय एक पेड़ लगाए, तो देश 2.8 करोड़ टन CO₂ सोख सकता है, यानी 60 लाख कारों के उत्सर्जन के बराबर।

भविष्य की चेतावनी – अगर अब नहीं संभले तो…
डॉ. सिंह जी ने अपने संदेश में कहा कि यदि हमने पर्यावरण संरक्षण को “किसी और की ज़िम्मेदारी” समझा, तो आने वाली पीढ़ियां केवल धुंआ, सूखा और संघर्ष विरासत में पाएंगी।

डॉ. सिंह ने IPCC, UN, NITI Aayog और WHO की रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए बताया कि, 2030 तक तापमान वृद्धि 1.5°C से आगे गई, तो अमेज़न वर्षावन का 47% हिस्सा नष्ट हो जाएगा।

2050 तक समुद्र का स्तर 3 मीटर तक बढ़ सकता है, जिससे एशिया के 60 करोड़ लोग स्थाई बाढ़ के खतरे में होंगे – मुंबई, कोलकाता और चेन्नई सबसे पहले प्रभावित होंगे।

भारत के 75% जिले पहले ही “क्लाइमेट हॉटस्पॉट” घोषित किए जा चुके हैं। हर साल 14 लाख भारतीय वायु प्रदूषण के कारण अकाल मृत्यु का शिकार हो रहे हैं। उत्तर भारत का तापमान पिछले 50 वर्षों में 1.3°C बढ़ चुका है और 2080 तक यह 4°C तक बढ़ सकता है।

एक भावनात्मक आह्वान :

“कल के अस्तित्व के लिए आज जगो” डॉ. राजेश्वर सिंह जी ने कहा – “हमारे बच्चे और पोते जिस दुनिया में जन्म लेंगे, उसका रूप आज हम तय कर रहे हैं।

अगर हम आज पेड़ नहीं लगाएंगे, तो वे कल छांव कहाँ से पाएँगे? अगर हमने जल नहीं बचाया, तो वे प्यास कहां बुझाएंगे? अगर हमने प्रदूषण नहीं रोका, तो वे सांस कैसे लेंगे?”

उन्होंने हर नागरिक से संकल्प लेने का आग्रह किया :
पानी बचाना धर्म है।
बिजली बचाना कर्तव्य है।
प्लास्टिक छोड़ना संस्कार है।
कचरे का पृथक्करण आदत है।
और वृक्ष लगाना परंपरा है।

अंत में डॉ. सिंह जी ने कहा, “प्रकृति के बिना मानवता का कोई भविष्य नहीं। अब वक्त है कि हर नागरिक कहे, मैं व्यस्त नहीं हूँ, मैं जागरूक हूँ। जब धरती बचेगी, तभी जीवन बचेगा। जब पर्यावरण सांस लेगा, तभी विकसित भारत 2047 सांस ले पाएगा।”

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