RBI Digital Banking Guidelines 2025. डिजिटल बैंकिंग के बढ़ते चलन के बीच ग्राहकों से जुड़ी सुरक्षा अब केंद्रीय बैंक की प्राथमिकता में आ गई है। फर्जीवाड़े और धोखाधड़ी की घटनाओं में लगातार इजाफा होने के बाद भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एक अहम कदम उठाया है। सोमवार को आरबीआई ने डिजिटल बैंकिंग सेवाओं से जुड़े नए दिशानिर्देशों का मसौदा सार्वजनिक किया है, जो देशभर के करोड़ों बैंक उपभोक्ताओं की सुरक्षा को मजबूती देगा।

बैंक ग्राहकों को मिलेगा विकल्प, नहीं होगी कोई जबरदस्ती

आरबीआई के प्रस्तावित नियमों के मुताबिक, बैंक अब ग्राहकों पर डिजिटल बैंकिंग सेवाओं का उपयोग करने के लिए दबाव नहीं डाल सकेंगे। ग्राहक अगर सिर्फ डेबिट कार्ड के जरिए लेनदेन करना चाहते हैं और ऑनलाइन ट्रांजेक्शन से दूर रहना चाहते हैं, तो बैंक उन्हें यह विकल्प देना होगा कि वे सिर्फ अपना बैलेंस ऑनलाइन देख सकें या पूरी डिजिटल सेवा ले सकें।

साइनअप से पहले ग्राहक की लिखित सहमति जरूरी

नई गाइडलाइंस में साफ कहा गया है कि डिजिटल सेवा शुरू करने से पहले बैंक को ग्राहक की स्पष्ट सहमति लेनी होगी। साथ ही बैंक को यह जानकारी भी देनी होगी कि किन सेवाओं पर कितना चार्ज लगेगा, ट्रांजेक्शन फेल या धोखाधड़ी की स्थिति में क्या समाधान प्रक्रिया होगी, और ग्राहक को हर लेन-देन की जानकारी एसएमएस या ई-मेल के जरिये दी जानी अनिवार्य होगी।

थर्ड पार्टी योजनाएं थोपना नहीं चलेगा

आरबीआई ने मसौदे में यह भी जोड़ा है कि बैंक अब निवेश योजनाओं, बीमा उत्पादों या किसी भी थर्ड पार्टी सेवा को बिना अनुमति के ग्राहकों पर नहीं थोप सकते और न ही बिना आरबीआई की इजाजत के अपनी वेबसाइट पर इन्हें प्रमोट कर सकते हैं।

फ्रॉड डिटेक्शन सिस्टम होगा जरूरी

ऑनलाइन धोखाधड़ी को रोकने के लिए सभी बैंकों को अब फ्रॉड डिटेक्शन टूल्स का उपयोग करना होगा। इसके तहत बैंकों को अपने ग्राहकों के लेनदेन के पैटर्न पर नियमित निगरानी रखनी होगी। यदि किसी लेनदेन में असामान्यता पाई जाती है तो बैंक को तत्काल कार्रवाई करनी होगी।

11 अगस्त तक मांगे गए सुझाव

यह मसौदा फिलहाल ड्राफ्ट स्टेज में है। आरबीआई ने बैंकों, साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों और आम जनता से इस पर 11 अगस्त 2025 तक सुझाव मांगे हैं।

डिजिटल युग में जिस तेजी से बैंकिंग फ्रॉड के मामले सामने आए हैं, उसके मुकाबले यह आरबीआई की एक लंबी प्रतीक्षित और निर्णायक पहल मानी जा रही है। यह मसौदा अगर लागू होता है तो न सिर्फ ग्राहक को ज़्यादा अधिकार मिलेंगे बल्कि बैंकिंग सेक्टर में पारदर्शिता भी बढ़ेगी।

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