Samajwadi Party Leaders. 2027 में होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी (सपा) के चार कद्दावर नेताओं का जेल से बाहर आना बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। हाल के दिनों में अदालत ने आजम खान, इरफान सोलंकी, जुगेंद्र यादव और रामेश्वर यादव को जमानत दी। ये सभी नेता अपने-अपने क्षेत्रों में बेहद प्रभावशाली माने जाते हैं।
आजम खान
लगभग दो साल की हिरासत के बाद आजम खान 23 सितंबर, 2025 को सीतापुर जिला जेल से बाहर आए। उनके खिलाफ कुल 111 मामले दर्ज हैं, जिनमें रामपुर, लखनऊ, फिरोज़ाबाद और मुरादाबाद के मामले शामिल हैं। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, 2017 में भाजपा सत्ता में आने के बाद दर्ज मामलों की संख्या तेजी से बढ़ी। आरोपों में जमीन हड़पने, धोखाधड़ी, अभद्र भाषा और आपराधिक धमकी शामिल हैं।
इरफान सोलंकी
कानपुर की सियासत में मजबूत पकड़ रखने वाले सपा नेता इरफान सोलंकी मंगलवार शाम महराजगंज की जेल से 34 महीने बाद बाहर आए। इरफान सोलंकी पांच बार के विधायक हैं और मुस्लिम इलाकों में उनका खास प्रभाव है। 2 दिसंबर को गैंगस्टर एक्ट के तहत उन्हें और उनके भाई रिज़वान सोलंकी को गिरफ्तार किया गया था। जेल में रहने के कारण उन्हें विधायक पद गंवाना पड़ा, लेकिन उनकी पत्नी नसीम सोलंकी ने उपचुनाव में चुनाव जीतकर सपा का प्रभाव बनाए रखा।
जुगेंद्र और रामेश्वर यादव
सपा प्रमुख अखिलेश यादव के करीबी माने जाने वाले पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष जुगेंद्र सिंह यादव और उनके बड़े भाई पूर्व विधायक रामेश्वर यादव भी तीन साल बाद जेल से बाहर आए। जुगेंद्र पर लूट, दुष्कर्म, जमीन कब्जा और गैंगस्टर जैसे कई संगीन मुकदमे दर्ज थे। रामेश्वर यादव पर करीब 100 मामले दर्ज हैं। रामेश्वर यादव तीन बार अलीगंज विधानसभा सीट से विधायक रहे हैं, जबकि जुगेंद्र सिंह यादव 2006 और 2011 में जिला पंचायत अध्यक्ष रहे। दोनों भाइयों का एटा और कासगंज में बड़ा दबदबा है।
बीजेपी के लिए चुनौती
सपा नेताओं का जेल से बाहर आना पार्टी के लिए नई उम्मीद की किरण है। खासकर आजम खान और इरफान सोलंकी की वापसी से उत्तर प्रदेश की सियासत में सपा का अभियान और मजबूत हो सकता है। वहीं बीजेपी के लिए यह किसी टेंशन से कम नहीं है, क्योंकि इन नेताओं का अपने क्षेत्रों में प्रभाव काफी व्यापक है। विश्लेषकों का कहना है कि 2027 विधानसभा चुनाव में यह बदलाव सपा के लिए एक बढ़त और बीजेपी के लिए चुनौती दोनों बन सकता है।