GST 2.0 India
. वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद अपनी 56वीं बैठक 3-4 सितंबर 2025 को नई दिल्ली में आयोजित करेगी। यह बैठक जीएसटी लागू होने के बाद से अब तक की सबसे महत्वपूर्ण सुधार बैठक मानी जा रही है, जिसमें कर दरों को सरल बनाने, अनुपालन सुधारने और व्यापार-अनुकूल वातावरण तैयार करने की पहल की जाएगी। इसे वित्तीय विशेषज्ञ और उद्योग जगत “जीएसटी 2.0” के रूप में देख रहे हैं।
बैठक की अहमियत
सामान्य बैठकों के विपरीत, जो अक्सर छोटे सुधारों पर ध्यान केंद्रित करती हैं, इस बैठक का एजेंडा संपूर्ण सुधार पर आधारित है। सरकार का उद्देश्य त्योहारी सीज़न से पहले उपभोक्ताओं की खरीदारी बढ़ाना और छोटे व मध्यम उद्यमों पर अनुपालन बोझ कम करना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अपने संबोधन में भी जीएसटी सुधारों के नए चरण की आवश्यकता पर जोर दिया था।
प्रस्तावित सुधार: दोहरी दर संरचना
बैठक का सबसे बड़ा प्रस्ताव चार प्रमुख स्लैब – 5%, 12%, 18% और 28% – को दो दरों में समेटना है:
- आवश्यक वस्तुओं के लिए 5%
- मानक दर के रूप में 18%
- विलासिता और हानिकारक वस्तुओं जैसे ऑटोमोबाइल और तंबाकू के लिए 40%
इस कदम से स्लैब की संख्या कम होगी, जिससे वर्गीकरण विवाद घटेंगे, अनुपालन आसान होगा और व्यवसायों को पूर्वानुमानित अनुभव मिलेगा।
खाद्य और वस्त्र उद्योग में राहत
सभी खाद्य और वस्त्र वस्तुओं को 5% स्लैब में स्थानांतरित करने का प्र स्ताव है। इससे उपभोक्ताओं के लिए कीमतें कम होंगी और उद्योगों को स्पष्टता मिलेगी, जिन्हें अक्सर व्याख्या संबंधी विवाद का सामना करना पड़ता है।
बीमा और व्यक्तिगत सेवाओं पर चर्चा
- बीमा प्रीमियम: जीवन और स्वास्थ्य बीमा पर वर्तमान में 18% GST लगता है। परिषद विचार कर रही है कि इसे घटाया जाए या पूरी तरह से छूट दी जाए।
- सीमेंट: आवास और बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के लिए 28% से घटाकर 18%
- सैलून और सौंदर्य सेवाएँ: 18% से घटाकर 5%
इन कदमों से छोटे सेवा प्रदाता और अंतिम उपयोगकर्ता दोनों को लाभ मिलेगा।
जीएसटी 2.0 अनुपालन सुधार
परिषद डिजिटल और आधुनिक अनुपालन प्रणाली भी पेश कर सकती है:
- पहले से भरे हुए जीएसटी रिटर्न
- निर्यातकों और MSME के लिए स्वचालित धनवापसी तंत्र
- सुसंगत वर्गीकरण मानदंड
क्षतिपूर्ति उपकर पर विचार
केंद्र और राज्यों के लिए राजस्व की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए क्षतिपूर्ति उपकर का भविष्य तय किया जाएगा। इसे जारी रखना, संशोधित करना या चरणबद्ध समाप्त करना प्रस्तावित है।
उपभोक्ताओं के लिए:
- भोजन, कपड़े और आवास की कम लागत
- कम बीमा प्रीमियम
- सैलून जैसी सस्ती सेवाएँ
व्यवसाय और MSME के लिए:
- कम कर स्लैब से वर्गीकरण विवाद कम
- डिजिटल सुधार से अनुपालन बोझ घटे
- तेज़ रिफंड से बेहतर कार्यशील पूंजी
चुनौतियाँ
- राज्य राजस्व समझौते की आवश्यकता
- कम GST दर का उपभोक्ता मूल्य में अनुवाद
- जीएसटीएन की तकनीकी तैयारी
- राजनीतिक सहमति
यदि सहमति बन जाती है, तो दिवाली 2025 से पहले सुधार लागू किए जा सकते हैं।
भारत की कर व्यवस्था पर असर
सितंबर बैठक केवल नीति सुधार नहीं है; यह जीएसटी 2.0 का प्रारंभ हो सकता है। सरल स्लैब, उपभोक्ता राहत और डिजिटल अनुपालन से जीएसटी को अधिक कुशल, पारदर्शी और व्यापार-अनुकूल बनाया जा सकता है। इन निर्णयों का असर केवल त्योहारी सीज़न तक नहीं, बल्कि लंबे समय तक भारत के विकास पथ और वैश्विक प्रतिस्पर्धा पर दिखाई देगा।