जस्टिस बीआर गवई ने आज भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें राष्ट्रपति भवन में शपथ दिलाई। जस्टिस गवई का सुप्रीम कोर्ट में सफर काफी प्रेरणादायक रहा है, और उन्होंने कई महत्वपूर्ण फैसले सुनाए हैं जो सीधे तौर पर देश की राजनीति और कानून व्यवस्था पर असर डालते हैं। आइए जानते हैं उन पांच अहम फैसलों के बारे में जिनका सीधा असर भारतीय समाज और राजनीति पर पड़ा।

1. नोटबंदी पर सरकार के फैसले को सही ठहराया

2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किया था, जिसमें 500 और 1000 रुपये के नोटों को अचानक बंद कर दिया गया। इस फैसले को कई लोगों ने चुनौती दी थी और सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की थीं। जस्टिस गवई उस संविधान पीठ का हिस्सा थे, जिसने 2016 में नोटबंदी के फैसले को 4-1 से सही ठहराया। उन्होंने कहा था कि नोटबंदी का उद्देश्य हासिल करना या नहीं, इसका नोटबंदी के प्रॉसेस से कोई संबंध नहीं है, क्योंकि यह सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के बीच सहमति से लिया गया कदम था।

2. अनुच्छेद 370 को हटाना

केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा दिया था, जो राज्य को विशेष दर्जा देता था। इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 23 याचिकाएं दायर की गई थीं। जस्टिस गवई ने इस संविधान पीठ का हिस्सा बनते हुए सर्वसम्मति से यह फैसला सुनाया कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना कानूनी था और संविधान के अनुरूप था।

3. इलेक्टोरल बॉन्ड पर ऐतिहासिक फैसला

इलेक्टोरल बॉन्ड के बारे में सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी 2024 को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। जस्टिस गवई उस पीठ का हिस्सा थे जिसने राजनीतिक फंडिंग के लिए इस्तेमाल की जाने वाली इस योजना को असंवैधानिक घोषित किया। कोर्ट ने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड में जानकारी का अभाव सूचना के अधिकार का उल्लंघन है। इसके बाद, सुप्रीम कोर्ट ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को आदेश दिया कि वो चुनाव आयोग को इन बॉन्ड्स से जुड़ी सभी जानकारियां उपलब्ध कराए।

4. आरक्षण में आरक्षण पर फैसला

जस्टिस गवई सुप्रीम कोर्ट की उस पीठ का भी हिस्सा थे जिसने अनुसूचित जाति और जनजाति में सब-कैटेगरी को आरक्षण देने के फैसले को सही ठहराया। इस फैसले में कोर्ट ने कहा कि जैसे अन्य पिछड़े वर्ग (OBC) में क्रीमी लेयर का प्रावधान है, वैसे ही अनुसूचित जाति और जनजाति में भी इसे लागू किया जा सकता है। इस फैसले का समाज में गहरा असर पड़ा, क्योंकि इससे आरक्षण व्यवस्था में कई नए पहलुओं को समझा गया।

5. बुलडोजर न्याय पर फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने 14 नवंबर 2024 को बुलडोजर न्याय पर भी अपना फैसला सुनाया। जस्टिस गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि किसी भी व्यक्ति के घर या संपत्ति को अवैध मानकर सिर्फ अपराधी होने के आधार पर नहीं तोड़ा जा सकता। कोर्ट ने आदेश दिया कि जब तक नोटिस जारी न किया जाए और सुनवाई न हो, तब तक कोई भी संपत्ति को नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकता। कोर्ट ने यह भी कहा कि नोटिस रजिस्टर्ड पोस्ट से भेजी जाए और कम से कम 15 दिन पहले दी जाए।

जस्टिस गवई का कार्यकाल हमेशा भारतीय न्यायपालिका के लिए ऐतिहासिक रहेगा। उन्होंने न केवल देश के संवैधानिक मसलों को सुलझाया, बल्कि उन्होंने हर फैसले में न्याय का पक्ष लिया। चाहे वह नोटबंदी हो, अनुच्छेद 370 का मसला, या फिर बुलडोजर न्याय, हर मामले में उन्होंने भारतीय संविधान की गरिमा बनाए रखी और आम आदमी के हक में फैसला दिया। उनका यह सफर और निर्णय देश के इतिहास में हमेशा याद किए जाएंगे।

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