New Delhi: हफ्ते में सिर्फ तीन दिन ट्रेडिंग होने के बावजूद विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने भारतीय शेयर बाजार में ₹8,500 करोड़ से अधिक का निवेश किया है। नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (NSDL) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, 15 से 17 अप्रैल के बीच भारतीय इक्विटी बाजारों में एफपीआई ने सकारात्मक निवेश किया।
इस हफ्ते सोमवार (राम नवमी) और शुक्रवार (गुड फ्राइडे) को बाजार बंद थे, जिससे हफ्ता ट्रेडिंग के लिहाज़ से छोटा रहा। बावजूद इसके, एफपीआई का रुझान पॉजिटिव रहा, जो बीते महीनों की बिकवाली के मुकाबले एक बड़ा बदलाव है।
डॉलर की कमजोरी बनी निवेश की वजह
विशेषज्ञों के अनुसार, अमेरिकी डॉलर की कमजोरी और रुपये जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं की करेंसी में मजबूती विदेशी निवेश का बड़ा कारण बन रही है। इससे भारत जैसे बाजार विदेशी निवेशकों के लिए आकर्षक बनते हैं।
व्हाइटओक कैपिटल के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर और सीईओ, आशीष पी. सोमैया ने कहा, “अमेरिका की टैरिफ नीतियों और संभावित वैश्विक मंदी का दोहरा असर दिख रहा है – एक तो डॉलर में गिरावट, दूसरा उभरते बाजारों की करेंसी में मजबूती। इससे एफपीआई को भारत जैसे बाजारों में निवेश करने में आसानी होती है।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि ऐसी वैश्विक परिस्थितियों में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के पास भी मौद्रिक नीति को लचीला रखने का विकल्प रहता है, जिससे घरेलू बाजार को भी सपोर्ट मिलता है।
अभी भी अप्रैल में शुद्ध निकासी
हालांकि इस हफ्ते के आंकड़े सकारात्मक हैं, लेकिन अप्रैल महीने में अब तक एफपीआई की ओर से शुद्ध ₹23,103 करोड़ की निकासी हुई है। वहीं साल 2025 की शुरुआत से अब तक कुल ₹1,39,677 करोड़ की निकासी हो चुकी है, जो इस साल के लिए अभी भी एक नकारात्मक संकेत है।
आगे की स्थिति पर नजर
इस हफ्ते की तेज़ी ने बाजार को थोड़ी राहत दी है, लेकिन बाजार विश्लेषकों का कहना है कि निवेश का यह ट्रेंड बरकरार रहेगा या नहीं, यह आने वाले वैश्विक संकेतों पर निर्भर करेगा। अमेरिका और चीन की अर्थव्यवस्था में संभावित मंदी, वैश्विक महंगाई, और भू-राजनीतिक तनाव जैसे फैक्टर निवेशकों की धारणा को प्रभावित कर सकते हैं।