चीन ने पाकिस्तान के सबसे महत्वाकांक्षी चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) परियोजना के मेन लाइन-1 (ML-1) रेलवे अपग्रेड से हाथ खींच लिया है, जो एक बड़ा भू-राजनीतिक बदलाव माना जा रहा है। यह फैसला पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ के बीजिंग दौरे के बाद लिया गया, जहां वे CPEC के दूसरे चरण के तहत नई फंडिंग या बड़ी परियोजनाएं हासिल करने में असफल रहे। इसके बजाय, वे कृषि, इलेक्ट्रिक वाहन, सौर ऊर्जा, स्वास्थ्य और स्टील जैसे क्षेत्रों में 8.5 अरब डॉलर के समझौता ज्ञापनों (MoUs) के साथ लौटे, लेकिन कोई बड़ा निवेश सामने नहीं आया।

इस बीच, इस्लामाबाद के वाशिंगटन के साथ बढ़ते संबंध और भारत के शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की टियांजिन समिट के बाद चीन और रूस के साथ बढ़ती नजदीकियों ने इस फैसले को और भी जटिल भू-राजनीतिक स्थिति में डाल दिया है।

चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) एक बड़ा अवसंरचना प्रोजेक्ट है, जिसका मकसद चीन के उत्तर-पश्चिमी शिनजियांग क्षेत्र को पाकिस्तान के अरब सागर स्थित Gwadar बंदरगाह से सड़कों, रेल, पाइपलाइन और ऊर्जा परियोजनाओं के जरिए जोड़ना है। CPEC लगभग 3,000 किलोमीटर लंबा है और यह चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का अहम हिस्सा है।

यह गलियारा दक्षिण एशिया, मध्य एशिया, मध्य पूर्व और अफ्रीका को जोड़ने वाली क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को बढ़ाने की उम्मीद रखता है। इसका उद्देश्य चीन और पाकिस्तान के बीच व्यापार को बढ़ावा देना, चीनी ऊर्जा आयात को आसान बनाना, और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है। इस परियोजना में निवेश की कुल राशि 60 अरब डॉलर से अधिक होने का अनुमान है।

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