मध्य प्रदेश : चलती ट्रेन से एक लड़की अचानक रातों-रात ग़ायब हो जाती है. उसके लापता होने से ठीक पहले उसका मोबाइल फोन भी बंद हो जाता है. ट्रेन की जिस सीट पर लड़की सफर कर रही थी, वो खाली मिली. वहां लड़की का एक बैग और कुछ खिलौने पड़े थे. चलती ट्रेन से लड़की के अचानक ग़ायब हो जाने की ख़बर उसकी तस्वीर के साथ सोशल मीडिया के समंदर में उफ़ान मारने लगी. रेलवे पुलिस पर लड़की को ढूंढने का दबाव बढ़ने लगा. पुलिस की सांसें फूल रही थीं, क्योंकि 12 दिन बीतने के बावजूद ना तो लड़की मिली और ना ही उसका कोई सुराग. लेकिन, 12 दिन पहले जिस रहस्यमयी अंदाज़ में लड़की चलती ट्रेन से ग़ायब हुई थी, उससे भी ज़्यादा नाटकीय अंदाज़़ में 13वें दिन वही लड़की पुलिस को मिल जाती है. किसी थ्रिलर उपन्यास से ज़्यादा रोमांचक और किसी फिल्मी कहानी से ज़्यादा हैरान कर देने वाली है ये सच्ची कहानी है अर्चना तिवारी की. एमपी के कटनी की रहने वाली अर्चना एक हफ़्ते तक सोशल मीडिया ट्रेंड में रह चुकी है. भोपाल में ट्रेन से ग़ायब होने और फिर अचानक यूपी के पास नेपाल बॉर्डर पर मिलने की कहानी अपने आप में किसी थ्रिलर वेब सीरीज़ जैसी है.

ये सच्ची कहानी शुरू होती है इंदौर से जहां से अर्चना तिवारी 7 अगस्त को ट्रेन में सवार हुई थी. 7 अगस्त की रात इंदौर-बिलासपुर नर्मदा एक्सप्रेस के AC कोच बी-3 में अर्चना बैठ गई. उसे 8 अगस्त की सुबह अपने घर कटनी पहुंचना था. लेकिन, वो कटनी स्टेशन पर उतरी ही नहीं. 7 अगस्त की देर रात वो भोपाल के रानी कमलापति रेलवे स्टेशन के बाद से ग़ायब हो गई. लेकिन, उसे ट्रेन से उतरते हुए किसी ने नहीं देखा. परिवार वाले जब कटनी स्टेशन पहुंचे तो ट्रेन की सीट पर उसका बैग मिला. तलाश शुरू हुई. रेलवे पुलिस को सूचना दी गई. 12 दिनों तक पुलिस और परिवार के लोग अर्चना तिवारी को ढूंढते रहे. 13वें दिन यानी 20 अगस्त को लड़की नेपाल-यूपी बॉर्डर पर मिल गई. जब भोपाल की रेलवे पुलिस ने अर्चना तिवारी को अपनी कस्टडी में लिया, तो मीडिया के सामने एक-एक करके उसके सारे राज़ खुलते चले गए. अर्चना के अचानक लापता होने से लेकर 12 दिनों तक उसके ग़ायब रहने के दौरान क्या-क्या हुआ, वो सब सुनकर आपको लगेगा कि ये हक़ीक़त नहीं बल्कि किसी थ्रिलर उपन्यास की कहानी है.

अर्चना तिवारी को सकुशल पकड़ने के बाद भोपाल की रेलवे पुलिस ने जो कुछ बताया, उस पर ग़ौर कीजिएगा. पुलिस के मुताबिक अर्चना तिवारी मूल रूप से कटनी की रहने वाली है. वो इंदौर में रहकर सिविल जज का इम्तिहान देने की तैयारी कर रही थी. कुछ महीने पहले वो ट्रेन में बैठकर अपने घर यानी कटनी से इंदौर के लिए निकली. जिस ट्रेन में अर्चना बैठी थी, उसी में ठीक सामने वाली बर्थ पर सारांश नाम का युवक भी सफर कर रहा था. सारांश कटनी और इंदौर के बीच पड़ने वाले शुजालपुर ज़िले का रहने वाला है. वो इंदौर में ड्रोन से संबंधित स्टार्ट अप से जुड़ा काम करता है. कुछ देर में दोनों के बीच बातचीत होने लगी. सारांश को बातों-बातों में जब मालूम हुआ कि अर्चना एडवोकेट भी है, तो उसने किसी केस के सिलसिले में बात की. बाद में दोनों ने अपने मोबाइल नंबर शेयर किए. फिर दोनों में बातचीत होने लगी. वॉट्सएप मैसेज होने लगे. दोनों के बीच गहरी दोस्ती हो गई. अब दोनों एक-दूसरे से अलग नहीं होना चाहते थे. इस बीच अर्चना तिवारी के परिवार वालों ने उसकी शादी एक पटवारी से तय करने की तैयारी कर ली. जब अर्चना को इस बारे में पता चला, तो उसने शादी करने से साफ इनकार कर दिया. अर्चना के पिता नहीं हैं. इसलिए परिवार के बड़े फैसलों में उसके ताऊ का दखल रहता है. परिवार वालों ने अर्चना से कहा कि अबकी बार जब वो आएगी, तो लड़के से उसकी मुलाक़ात करवाने के बाद सबकुछ फाइनल कर देंगे. इस बात को लेकर अर्चना का अपनी मां और ताऊ से काफ़ी झगड़ा हुआ. इसके बाद अर्चना ने अपने दोस्त और एक टैक्सी ड्राइवर के साथ मिलकर एक हैरान कर देने वाली प्लानिंग की.

भोपाल रेलवे पुलिस के मुताबिक अर्चना और उसका दोस्त सारांश एक-दूसरे के काफ़ी क़रीब थे. इसलिए जब अर्चना ने अपनी शादी की बातचीत के बारे में सारांश को बताया, तो दोनों ने एक योजना बनाई. इंदौर में सारांश की दोस्ती तेजेंदर नाम के एक टैक्सी ड्राइवर से हो गई थी. तेजेंदर अक्सर सारांश से पैसे उधार लिया करता था. अर्चना, सारांश और तेजेंदर तीनों 6 अगस्त को इंदौर में मिले. तीनों ने ये माना कि हो सकता है इस बार रक्षाबंधन पर अर्चना के जाते ही उसकी शादी तय हो सकती है. इसलिए तीनों ने मिलकर प्लान बनाया कि अर्चना इंदौर से ट्रेन के ज़रिये कटनी के लिए निकलेगी. लेकिन रास्ते में ही ग़ायब हो जाएगी. ठीक ऐसा ही हुआ. अर्चना 7 अगस्त की रात इंदौर-बिलासपुर नर्मदा एक्सप्रेस के AC कोच बी-3 में अपनी सीट पर बैठ गई. लड़की के इस सफर के साथ उसकी साज़िश भी साथ-साथ चलने लगी. जब ट्रेन भोपाल के रानी कमलापति स्टेशन पहुंच गई, तो तय प्लान के मुताबिक अर्चना ने अपना एक मोबाइल फोन बंद कर दिया, जिससे वो अपने घरवालों से बात कर रही थी. ट्रेन भोपाल से आगे चली तो नर्मदापुरम स्टेशन में रुकी. यहां टैक्सी ड्राइवर तेजेंदर भी ट्रेन में सवार हुआ. उसने अर्चना को दूसरे कोच में बुलाकर उसे नए कपड़ों वाला बैग दिया. अर्चना के लिए ये कपड़े सारांश ने शुजालपुर से ख़रीदे थे. वहां से एक XUV 700 गाड़ी में सवार होकर सारांश पहले से ही नर्मदापुरम स्टेशन पहुंच चुका था. अब अगला स्टेशन इटारसी था. अर्चना ने अपने कपड़े बदले, ताकि किसी को शक ना हो. इसके बाद ट्रेन जैसे ही इटारसी में रुकी, तो तेजेंदर अर्चना को लेकर स्टेशन पर आउटर की तरफ़ से बाहर निकला. यहां सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे थे. रेलवे स्टेशन के पास सारांश गाड़ी लेकर उसका इंतज़ार कर रहा था. तीनों गाड़ी में सवार होकर वहां से निकल गए.

कुछ दूर जाने के बाद तेजेंदर गाड़ी से उतर गया. क्योंकि, तेजेंदर इटारसी का ही रहने वाला था, इसलिए वो अपने घर चला गया. अब सारांश और अर्चना तिवारी हाईवे से अलग लोकल रास्तों से होते हुए वापस शुजालपुर जाने लगे. टोल नाकों पर पकड़े जाने या उनके बारे में सुराग मिलने का ख़तरा था, इसलिए हाईवे से अलग वाले रास्तों से होते हुए दोनों शुजालपुर पहुंचे. वहां दूसरा मोबाइल फोन और सिम ख़रीदा, ताकि पकड़े जाने का ख़तरा ना रहे. लेकिन, तब तक सोशल मीडिया पर अर्चना तिवारी के चलती ट्रेन से लापता होने की ख़बर फैलने लगी थी. दोनों को लगा कि अर्चना की फोटो लोगों ने सोशल मीडिया पर देखी है, इसलिए पकड़े जाने का डर है. लिहाज़ा दोनों ने एमपी छोड़ने का फ़ैसला किया. दोनों बुरहानपुर गए और वहां से हैदराबाद चले गए. लेकिन, अर्चना के ग़ायब होने की ख़बर राजनीतिक रूप ले चुकी थी. इसलिए हर तरफ़ इसी बारे में चर्चा होने लगी. इसी दौरान पुलिस को अचानक एक सुराग मिला. अर्चना के बंद मोबाइल नंबर से टैक्सी ड्राइवर तेजेंदर के नंबर पर कई बार बात हुई थी. उसी नंबर की पड़ताल में पुलिस ने तेजेंदर के बारे में इटारसी जाकर छानबीन की. रेलवे पुलिस को मालूम हुआ कि तेजेंदर को 8 अगस्त की रात को ही दिल्ली पुलिस ने चोरी के एक मामले में उठा लिया है. रेलवे पुलिस का शक तेजेंदर पर और बढ़ा. उसने दिल्ली पुलिस से संपर्क किया और तिहाड़ में बंद तेजेंदर से अर्चना तिवारी के बारे में पूछताछ की. तेजेंदर ने सारांश और अर्चना के बारे में पूरी कहानी पुलिस को बता दी.

जब सारांश को मालूम हुआ कि तेजेंदर ने सारे राज़ खोल दिए हैं, तो उसने अर्चना को लेकर नेपाल जाने का प्लान बनाया. दोनों बस के ज़रिये हैदराबाद से जोधपुर पहुंचे. वहां से बस में बैठकर दिल्ली आए. फिर वहां से बस के ज़रिये ही काठमांडू चले गए. रेलवे पुलिस के मुताबिक काठमांडू में सारांश के ड्रोन वाले स्टार्ट अप से जुड़े कुछ क्लाइंट रहते हैं. इसलिए दोनों ने सोचा था कि काठमांडू में ज़िंदगी साथ बिताने में कोई संकट नहीं होगा. दोनों 14 अगस्त को काठमांडु पहुंच गए. अगले दिन सारांश अपने काम के सिलसले में शुजालपुर आ गया. रेलवे पुलिस को सारांश का ही इंतज़ार था. तेजेंदर के ज़रिये सारांश पुलिस के हत्थे चढ़ गया. पूछताछ में उसने अर्चना तिवारी को लेकर पूरी प्लानिंग के साथ फरार होने की एक-एक बात क़ुबूल की. जब अर्चना के लापता होने के सारे राज़ खुल गए, तो पुलिस ने सारांश के फोेन से उसे कॉल करवाया. तब तक अर्चना को इस बात की भनक नहीं लगी थी कि सारांश पुलिस हिरासत में है और उसका सारा राज़ खुल चुका है. अर्चना ने सारांश से बात की. पुलिस ने सारांश के ज़रिये अर्चना को नेपाल बॉर्डर पर बुलवाया और फिर उसे अपनी कस्टडी में ले लिया.

रेलवे पुलिस के मुताबिक अर्चना तिवारी के चलती ट्रेन से फरार होने की पूरी कहानी एक सोची-समझी प्लानिंग थी. अर्चना अपनी मर्ज़ी से शादी करना चाहती थी, इसलिए उसने परिवार के दबाव में शादी से बचने के लिए सारांश के साथ गुपचुप तरीके से ख़ुद को गायब दिखाने की साज़िश रची. पुलिस के मुताबिक अर्चना ने इटारसी में ट्रेन से उतरने के बाद टैक्सी ड्राइवर तेजेंदर को अपनी घड़ी और मोबाइल दे दिया था. उसने कहा था कि भोपाल के पास रेलवे ट्रैक पर घड़ी और बंद पड़ा मोबाइल फेंक दे, ताकि रेलवे पुलिस और परिवार वालों को ऐसा लगे कि लड़की ट्रेन से गिर गई होगी. पुलिस का कहना है कि अर्चना तिवारी एडवोकेट है, इसलिए उसने ये भी प्लान बनाया था कि ग़ायब होने के कुछ दिन बाद हॉस्टल के कुछ साथियों से गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखा देंगे. बाद में रेलवे पुलिस ख़ुद ही जांच को बंद कर देगी. लेकिन अर्चना तिवारी, सारांश और तेजेंदर ने जिस अंदाज़ में ये साज़िश रची थी, उसी दिलचस्प तरीक़े से इस साज़िश के सारे राज़ भी खुलते चले गए. तेजेंदर को दिल्ली पुलिस ने किसी दूसरे मामले में उठाया और भोपाल की रेलवे पुलिस को उसका नंबर अर्चना की कॉल लिस्ट में मिल गया. बस इसके बाद अर्चना और सारांश दोनों का राज़ ज़्यादा देर तक राज़ नहीं रह सका.

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