झारखंड की राजनीति में उठापटक उस दिन शुरू हो गई जब झारखंड मुक्ति मोर्चा जेएमएम से नाराज होकर अलग दल बनाने की इच्छा रख रहे चंपई सोरेन, ने ऑफिशियली भारतीय जनता पार्टी बीजेपी का दामन थाम लिया है। इस खबर ने झारखंड के राजनीतिक परिदृश्य में हलचल भी मचा दी है। बहराल देखा जाए तो चंपई की बात बीजेपी से वैसे तो काफी लंबे समय से चल रही थी, लेकिन इस पूरे घटनाक्रम की अंदर की स्टोरी क्या है चलिए ये जान लेते हैं।
जेएमएम से क्यों नाराज हैं चंपई सोरेन
चंपई सोरेन जो झारखंड में आदिवासी समुदाय के प्रमुख नेताओं में से एक हैं, ने हाल ही में जेएमएम के साथ अपने रिश्तों में खटास आने के संकेत दिए थे। जेएमएम के भीतर कई मुद्दों को लेकर उनके असंतोष ने उन्हें एक नया राजनीतिक मार्ग चुनने पर मजबूर कर दिया था। उनकी पिछली दिल्ली यात्रा में भी इस नई दिशा के संकेत स्पष्ट रूप से मिले थे।
बीजेपी की रणनीति
बीजेपी का मानना है कि ऐसी स्थिति में चंपई सोरेन को पार्टी में शामिल करना फायदे का सौदा हो सकता है। जो आदिवासी वोटों को अपने पक्ष में मोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। पार्टी के रणनीतिकारों का मानना था कि चंपई सोरेन के बीजेपी में शामिल होने से झारखंड विधानसभा चुनाव में आदिवासी वोटों को अपनी ओर एक बड़ा मोड़ दिया जा सकता है।
हिमंता बिस्वा सरमा का क्या है रोल
चंपई सोरेन का बीजेपी कनेक्शन हिमंता बिस्वा सरमा से होकर ही जाता है। दरअसल उन्हें ही इस पूरे मिशन का जिम्मा सौंपा। हिमंता बिस्वा सरमा ने दो दिनों तक रांची में चंपई सोरेन और झारखंड बीजेपी के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के साथ गहन बातचीत की। इस दौरान चंपई सोरेन की चिंताओं और अपेक्षाओं को समझा गया और एक समझौते पर पहुंचने की कोशिश की गई।
दिल्ली में मुलाकातों का दौर
रांची से लौटने के बाद चंपई सोरेन सीधे दिल्ली पहुंचे, जहां असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा पहले से ही थे। दिल्ली में एक बार फिर चंपई सोरेन और हिमंता बिस्वा सरमा के बीच बैठक हुई, जिसमें गृहमंत्री अमित शाह भी शामिल हुए। इस बैठक के बाद चंपई सोरेन के बीजेपी में शामिल होने की आधिकारिक घोषणा की गई।