लखनऊ : अदाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अदाणी ने गुरुवार को भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) लखनऊ के छात्रों से संवाद किया और अपनी प्रेरणादायक यात्रा साझा की। उन्होंने संस्थान को “इंटेलेक्चुअल कैपिटल” के रूप में संबोधित करते हुए कहा कि यहाँ के छात्र भारत के भविष्य के आर्किटेक्ट हैं। अदाणी का मानना था कि आईआईएम लखनऊ जैसे संस्थान भारत के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, और इन्हीं संस्थानों से निकलने वाले छात्र देश की शक्ति और समृद्धि की नींव रखने में सहायक होंगे।

भारत के भविष्य पर विश्वास
गौतम अदाणी ने छात्रों से कहा, “जब मैं आपको देखता हूं, मुझे न्यू इंडिया की संभावना दिखाई देती है। मुझे आपमें सर्वश्रेष्ठ भारत का सपना दिखाई देता है, एक ऐसा भारत जिसे कोई रोक नहीं सकता।” उनका कहना था कि यह विश्वास, सपना और संभावना भविष्य की बात है, न कि केवल आज का मुद्दा।

चुनौतियों का सामना करने की आवश्यकता
अदाणी ने अपनी यात्रा को साझा करते हुए कहा कि वह हमेशा एक ही मंत्र को मानते हैं, “सपने देखना और विश्वास रखना”। उन्होंने बताया कि उनकी यात्रा में कई ऐसे पल आए थे, जब सारे संसाधन समाप्त हो गए थे और सपोर्ट सिस्टम भी टूट चुका था। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और अपने विश्वास के साथ लगातार आगे बढ़ते रहे।

उन्होंने कहा, “सफलता इस बात से तय नहीं होती कि आपने कितनी अच्छी पढ़ाई की, बल्कि यह इस बात पर निर्भर करती है कि आप अपने अनुभवों को कैसे केस स्टडी में बदलते हैं।”

उद्यमिता के सफर का आरंभ
गौतम अदाणी ने कहा कि उनकी उद्यमिता यात्रा 16 साल की उम्र में शुरू हुई थी। अहमदाबाद में अपना घर छोड़कर उन्होंने मुंबई में हीरा व्यापार के क्षेत्र में काम शुरू किया। इसके बाद वह अहमदाबाद वापस लौटे, जहां उन्होंने भाई की पॉलिमर फैक्ट्री के प्रबंधन में मदद की और स्केल, लॉजिस्टिक्स, और सप्लाई चेन के महत्व को समझा।

वैश्विक स्तर पर अदाणी ग्रुप की सफलता
अदाणी ने अपनी कोयला परियोजना का जिक्र करते हुए कहा कि यह भारत में कोयले की कमी नहीं, बल्कि अच्छे गुणवत्ता वाले कोयले की कमी थी, जिसके कारण उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में अपनी कोयला परियोजना पर काम शुरू किया। इस परियोजना ने न सिर्फ ऑस्ट्रेलिया के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा किए, बल्कि भारत की ऊर्जा स्वतंत्रता की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया।

धारावी पुनर्विकास परियोजना
गौतम अदाणी ने मुंबई के धारावी में अपने ग्रुप द्वारा किए जा रहे विकास कार्य की भी चर्चा की। उन्होंने कहा, “धारावी एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी-झोपड़ी है, और यह कभी नहीं हो सकता कि एक राष्ट्र प्रगति करे, जब उसके इतने लोग बिना गरिमा के जीवन जी रहे हों।” अदाणी ने धारावी के पुनर्विकास को सिर्फ एक भवन निर्माण कार्यक्रम नहीं, बल्कि वहां रहने वाले 10 लाख लोगों के लिए गरिमा का पुनर्निर्माण माना।

मुंद्रा पोर्ट का निर्माण
अदाणी ने अपने पहले पोर्ट प्रोजेक्ट, मुंद्रा पोर्ट के बारे में भी बताया। जब उन्होंने इस परियोजना की शुरुआत की, तो कई बैंकरों और व्यापारियों ने इसे असंभव मानते हुए उन्हें पागल कह दिया था। लेकिन अदाणी ने तब भी अपने सपने पर विश्वास किया और पोर्ट बनाने का निर्णय लिया, जिससे आज हजारों लोगों को रोजगार मिल रहा है और भारतीय व्यापार में भी एक महत्वपूर्ण बढ़ोतरी हो रही है।

भविष्य के लिए संदेश
गौतम अदाणी का संदेश छात्रों के लिए स्पष्ट था: “हर महान रचना उस सपने पर टिकी होती है, जिसे पहले किसी ने नहीं देखा। जब आप भविष्य की दिशा में विश्वास के साथ चलते हैं, तो वह रास्ता खुद बनता है।” उन्होंने छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा कि सफलता सिर्फ अपने प्रयासों से आती है और यह सपना है, जो आपको अगले कदम की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।

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