Mathura: वृंदावन के प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर के आसपास बनने वाला कॉरिडोर एक बड़ी योजना है, जिसका मकसद मंदिर के आसपास की भीड़ और अव्यवस्था को कम करना है। लेकिन, इस कॉरिडोर के निर्माण को लेकर गोस्वामी समाज में भारी विरोध हो रहा है। आज हम आपको बताएंगे कि आखिर विरोध क्यों हो रहा है, और क्या है इस प्रोजेक्ट के पीछे की पूरी कहानी।
भीड़-भाड़ और सुरक्षा की समस्याएं
दरअसल, हर दिन हजारों श्रद्धालु बांके बिहारी मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। खासकर त्योहारों और खास अवसरों पर भक्तों की संख्या लाखों में पहुंच जाती है। ऐसे में मंदिर तक पहुंचने के लिए बहुत ही संकरी यानि की पतली और पुरानी गलियों से गुजरना पड़ता है, जिससे भीड़-भाड़ और सुरक्षा की समस्याएं बढ़ जाती हैं। अब सरकार ने इस समस्या को दूर करने के लिए मंदिर के पास करीब 5 एकड़ जमीन पर एक कॉरिडोर बनाने की योजना बनाई है। इस कॉरिडोर में तीन नए रास्ते और 37 हजार वर्ग मीटर की पार्किंग भी शामिल होगी, जिससे श्रद्धालुओं को सुविधा हो सके। साथ ही सरकार का कहना है कि इस योजना से मंदिर की व्यवस्था सुधरेगी और लोगों को दर्शन में आसानी होगी।
अपने ठाकुरजी को लेकर यहां से चले जाएंगे..
लेकिन, गोस्वामी समाज इस योजना का विरोध कर रहा है। उनका कहना है कि बांके बिहारी मंदिर उनकी निजी संपत्ति है, और सरकार का इसमें दखल देना गलत है। उन्होंने सरकार द्वारा बनाई गई ट्रस्ट और अध्यादेश को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है। साथ ही गोस्वामियों का यह भी कहना है कि अगर कॉरिडोर बना, तो वे अपने ठाकुरजी को लेकर यहां से चले जाएंगे। यहां तक कि उनका यह भी तर्क है कि कॉरिडोर के कारण वृंदावन की पुरानी कुंज गलियां नष्ट हो जाएंगी और इससे यहां की संस्कृति पर भी बुरा असर पड़ेगा। साथ ही, कई दुकानों और घरों को हटाना पड़ेगा, जिससे लोगों की रोज़मर्रा की आय भी प्रभावित होगी।
500 साल पुरानी विरासत की रक्षा
आपको बता दें कि, रेवेन्यू दस्तावेजों के अनुसार मंदिर की जमीन गोविंददेव के नाम से दर्ज है, न कि गोस्वामी समाज के नाम से। सरकार इस प्रोजेक्ट के लिए उचित मुआवजा और दुकानों के बदले दुकान देने का वादा कर रही है, लेकिन फिर भी लोग तैयार नहीं हैं। इतना ही नहीं…. गोस्वामी समाज ने सुप्रीम कोर्ट में भी इस कॉरिडोर के खिलाफ याचिका दायर की है। उनका कहना है कि बिना मंदिर के प्रबंधन में जुड़े लोगों की सहमति के बिना यह परियोजना धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से नुकसानदायक होगी। वे अपने 500 साल पुरानी विरासत की रक्षा करना चाहते हैं।
विरासत और मंदिर के अधिकारों की रक्षा
हालांकि, इस योजना के दो पहलू हैं — एक ओर सरकार की कोशिश है बेहतर व्यवस्था और सुरक्षा की, तो दूसरी ओर गोस्वामी समाज की चिंता है अपनी विरासत और मंदिर के अधिकारों की रक्षा की। तो, ये था बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर का मामला।