गुजरात के बोटाद मार्केटिंग यार्ड में चल रहे कथित घोटाले का पर्दाफाश करने वाले आम आदमी पार्टी (AAP) के किसान नेता राजू करपड़ा को गुजरात पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। यह गिरफ्तारी तब हुई जब वह किसानों के साथ बोटाद यार्ड में चल रहे “कळदा” (कटौती) के खिलाफ धरने पर बैठे थे। इस मुद्दे पर गुजरात के मुख्यमंत्री और भाजपा को घेरते हुए AAP के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने विरोध जताया और कहा कि “सच्चाई को जेल में बंद नहीं किया जा सकता।”
राजू करपड़ा ने एक वीडियो के माध्यम से बोटाद मार्केटिंग यार्ड में किसानों से किए जा रहे धोखाधड़ी के खेल का खुलासा किया। उन्होंने बताया कि यार्ड में एक ऐसी प्रणाली चल रही है जिसमें व्यापारी किसानों से बोली लगाने के बाद यह कहकर कपास को उनके गिन्निंग फैक्ट्री पर भेजने का दबाव बनाते हैं कि “कपास की क्वालिटी खराब है” और उसे कम दाम पर खरीद लेते हैं। इस प्रक्रिया को “कळदा” कहा जाता है, जिसमें किसानों को तय दाम से कम मिलते हैं।

किसानों की शिकायतों पर दो साल पहले जब राजू करपड़ा और उनकी टीम ने यार्ड का दौरा किया था, तो कुछ घंटों के लिए यार्ड बंद कराया गया था, लेकिन इसके बाद किसानों की गिरफ्तारी भी की गई थी। हालांकि, किसानों का आंदोलन जारी रहा और यार्ड को बंद रखा गया। अब दोबारा शिकायतें आ रही थीं कि वही “कळदा” का खेल शुरू हो गया था।

9 अक्टूबर को राजू करपड़ा ने फेसबुक पोस्ट के माध्यम से घोषणा की थी कि 10 अक्टूबर को वह किसानों के साथ बोटाद मार्केटिंग यार्ड पहुंचेंगे। इसके बाद APMC अधिकारियों ने बैठक बुलाकर मीडिया में बयान दिया कि अब “कळदा” नहीं होगा।
राजू करपड़ा के नेतृत्व में जब हजारों किसान यार्ड पहुंचे, तो मार्केटिंग यार्ड के अध्यक्ष ने सबके सामने यह कहा कि अब से किसानों को तय दाम ही मिलेगा और अगर किसी व्यापारी के खिलाफ “कळदा” की शिकायत आई तो उसकी जांच कर उसका लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा। हालांकि, इस बात को लिखित में देने की मांग पर मार्केटिंग यार्ड के अध्यक्ष ने इंकार कर दिया, जिसके बाद राजू करपड़ा और किसानों ने धरना देना जारी रखा।

गुजरात पुलिस ने देर रात 3 बजे राजू करपड़ा को गिरफ्तार कर लिया। इस पर अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा, “भाजपा के राज में अगर कोई किसानों की आवाज उठाए, तो उसे जेल भेज दिया जाता है। गुजरात में जो किसानों के साथ खड़ा होगा, भाजपा उसकी आवाज़ कुचल देगी। लेकिन याद रखिए, सच्चाई को जेल में बंद नहीं किया जा सकता। किसानों की लड़ाई अब रुकने वाली नहीं है।”
इस मामले ने एक बार फिर गुजरात में किसानों के मुद्दों को राजनीतिक बहस का केंद्र बना दिया है। अब यह देखना बाकी है कि क्या प्रशासन और राजनीतिक दल इस मामले पर ठोस कदम उठाएंगे या किसानों का आंदोलन और तेज होगा।