वर्ल्ड फ़ूड इंडिया 2025 का समापन भारत के खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक अवसर के रूप में हुआ। इस चार दिवसीय कार्यक्रम में कुल ₹1.02 लाख करोड़ के निवेश समझौते (MoUs) किए गए, जो इस क्षेत्र में अब तक का सबसे बड़ा वित्तीय निवेश है।
कार्यक्रम का आयोजन भारत सरकार के खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय (MoFPI) द्वारा किया गया, जिसका उद्देश्य डेयरी, मांस, पैकेज्ड फूड, बेवरेज, मसाले और रेडी-टू-ईट खाद्य उत्पादों में सहयोग और निवेश को बढ़ावा देना था। इन परियोजनाओं के जरिए देशभर में 64,000 से अधिक सीधे रोजगार सृजित होंगे और 10 लाख से अधिक लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर मिलेंगे।
मुख्य कंपनियों में रिलायंस कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड, कोका-कोला सिस्टम इंडिया, नेस्ले इंडिया, टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स, कार्ल्सबर्ग इंडिया, पतंजलि फूड्स और अमूल शामिल थीं। भारतीय और विदेशी कंपनियों ने शराब और गैर-शराबी पेय, खाद्य तेल, मिठाई, मसाले, प्रसंस्कृत फलों और सब्जियों सहित विभिन्न श्रेणियों में निवेश का संकल्प लिया।
इन निवेशों का भौगोलिक विस्तार 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में हुआ, जिसमें गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, पंजाब, तमिलनाडु, असम, ओड़िशा और जम्मू-कश्मीर शामिल हैं। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसानों, उद्यमियों और ग्रामीण समुदायों तक लाभ पहुंचे।
खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, “ये MoUs भारत की कृषि-खाद्य अर्थव्यवस्था के लिए नए युग की शुरुआत हैं। यह निवेश भारत को वैश्विक खाद्य प्रसंस्करण का केंद्र बनाने और समावेशी विकास व नवाचार को बढ़ावा देने के हमारे मिशन के अनुरूप हैं।”
Invest India ने समझौते बनाने और उन्हें अंतिम रूप देने में MoFPI का समर्थन किया। कंपनियों जैसे हल्दीराम स्नैक्स फूड, डाबर इंडिया, गोदरेज एग्रोवेट, लुलु ग्रुप की फेयर एक्सपोर्ट्स इंडिया और ओलम फ़ूड इंग्रेडिएंट्स ने विविध परियोजनाओं का वादा किया, जिनमें फूड पार्क स्थापित करना और आपूर्ति श्रृंखला का आधुनिकीकरण शामिल है। इन पहल से मूल्य संवर्धन बढ़ेगा, खाद्य अपशिष्ट कम होगा और ग्रामीण रोजगार को बढ़ावा मिलेगा।
MoFPI ने सभी हितधारकों के साथ मिलकर इन परियोजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन का आश्वासन दिया, जिससे भारत वैश्विक खाद्य प्रणाली में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सके।