उत्तराखंड-उत्तराखंड के उत्तरकाशी में बादल फटने के बाद से जो दृश्य सामने आया…उसे देखकर लोग दंग और परेशान रह गए. उत्तरकाशी में बादल फटने से लोगों को काफी ज्यादा नुकसान हुआ…..जो वीडियो वायरल हो रहे थे….उससे अंदाजा लगाया जा सकता था कि ये नुकसान काफी ज्यादा बड़ा है….लोग अपनों के बारे में हालचाल जानने के लिए ऐसे परेशान हो गए थे…कि आखिर कैसे ये घटना हो गए…कुदरती आपदा को रोका नहीं जा सकता है….पर उत्तरकाशी के धराली में जो बादल फटा….उसने तो बड़ी-बड़ी बिल्डिंग को नेस्तोनाबूत कर दिया…सब कुछ एक झटके में मलबे में बदल गया….
चलिए अब हम आपको ये बतातें है कि आखिर बादल फटते क्यों और कैसे हैं…और आखिर पहाड़ी इलाकों में ही ऐसा क्यों अक्सर देखने को मिलता है….
भूगोल और मौसम का मेल है मुख्य कारण
बादल फटने की घटनाएं दो प्रमुख कारणों पर निर्भर करती हैं.किसी स्थान की भौगोलिक स्थिति और वर्तमान मौसम प्रणाली। जब मानसूनी या नमी युक्त हवाएं किसी पहाड़ी क्षेत्र से टकराती हैं, तो वे तेजी से ऊपर की ओर उठती हैं। ऊंचाई पर जाकर ये हवाएं ठंडी हो जाती हैं, जिससे इनमें मौजूद भाप अचानक पानी की बूंदों में बदल जाती है। नतीजा एक सीमित क्षेत्र में बहुत तेज और भारी बारिश होती है जिसे बादल फटना कहा जाता है।
मौसम विभाग की परिभाषा क्या है?
मौसम विभाग के अनुसार, यदि किसी छोटे इलाके में एक घंटे में 10 सेंटीमीटर या उससे अधिक बारिश दर्ज की जाती है, तो इसे बादल फटना माना जाता है। कभी-कभी एक ही क्षेत्र में एक से अधिक बार भी ऐसी घटनाएं हो सकती हैं।
कैमरे में कैद हुई तबाही
बादल फटने की घटनाएं पहाड़ी इलाकों में भयंकर तबाही लाती हैं। तेज बारिश से भूस्खलन, पानी का सैलाब, और मलबे के साथ तबाही होती है। कई बार ये मलबा आबादी वाले क्षेत्रों में बहकर आता है और बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचाता है।
कब और कैसे बनती है बादल फटने की स्थिति?
जब हवा में अत्यधिक नमी होती है और कोई बादल धीमी गति से किसी स्थान पर रुक जाता है, तो कम समय में अधिक बारिश की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में बादल फटने जैसी स्थिति पैदा होती है।
उत्तराखंड और हिमाचल में बादल फटने की घटनाएं ज्यादा क्यों?
मानसून के दौरान अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से आने वाली नम हवाएं हिमालय से टकराती हैं। उत्तराखंड और हिमाचल की पहाड़ियों से टकराकर ये हवाएं तेजी से ऊपर उठती हैं और संघनित होकर भारी बारिश लाती हैं।
इन क्षेत्रों में घाटियां संकरी होती हैं, जहां तूफानी बादल फंस जाते हैं और समय पर बाहर नहीं निकल पाते। नतीजा, कम जगह में अत्यधिक बारिश और बादल फटने की घटनाएं होती हैं।
किन-किन जगहों पर होता है ज्यादा खतरा?
भारत में बादल फटने की घटनाएं प्रमुख रूप से हिमालयी और पश्चिमी घाट क्षेत्रों में होती हैं:
उत्तर भारत: जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश
दक्षिण भारत: केरल, कर्नाटक और महाराष्ट्र के कुछ हिस्से
बादल फटना किस मौसम में ज्यादा होता है?
बादल फटने की घटनाएं आमतौर पर मानसून और प्री-मानसून के दौरान होती हैं। मई से अगस्त के बीच इनकी आवृत्ति सबसे ज्यादा रहती है।
बादल फटना एक प्राकृतिक घटना है लेकिन इसके पीछे का वैज्ञानिक आधार स्पष्ट है। पर्वतीय इलाकों में जहां मौसम और भूगोल की स्थिति अनुकूल हो, वहां इस प्रकार की आपदाएं ज्यादा होती हैं। समझदारी से मौसम की भविष्यवाणी और सतर्कता से इससे होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है।